
नए साल 2019 ने दस्तक दे दी है. साल 2018 बीत चुका है. बीते साल या उससे पहले भी कई ऐसी आपराधिक घटनाएं हुई हैं, जिन्होंने पूरे देश को दहला कर रख दिया था. इनमें से कई मामले ऐसे हैं, जिनकी लंबी जांच चल रही है. कई सबूत जुटाए जा रहे हैं. पुलिस ने रात दिन एक कर दिया है. लेकिन अभी तक ये मामले अनसुलझे हैं. अब सवाल उठता है कि क्या नए साल में इन मामलों की पहेली को जांच एजेंसियां और पुलिस हल कर पाएंगी?
बुलंदशहर हिंसाः इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह मर्डर
3 दिसंबर, 2018 को बुलंदशहर के गांव महाव में गोकशी की सूचना मिलने पर स्याना थाने के प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह अपने साथ करीब 9 लोगों की टीम लेकर सरकारी टाटा सूमो यूपी 13 एजी 0452 से मौके पर पहुंचे. वहां गोकशी के शक में भीड़ हंगामा कर रही थी. भीड़ का नेतृत्व बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश राज कर रहा था. भीड़ ने जाम लगा रखा था. इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन भीड़ नहीं मानी और पुलिस पर हमला कर दिया.
पुलिस के वाहनों में आग लगा दी. इंस्पेक्टर सुबोध की पिस्टल और मोबाइल लूट लिए गए और उन्हें गोली मार दी गई. जिससे उनकी मौत हो गई. जिसका इल्जाम पहले योगेश राज पर आया. फिर जितेंद्र उर्फ जीतू फौजी पर. और अब पुलिस ने प्रशांत नट नामक युवक को इस मामले में हत्यारोपी बताते हुए गिरफ्तार किया है. लेकिन अभी भी इस मामले में तस्वीर साफ नहीं है. पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.
मौत का खौफनाक खेलः बुराड़ी कांड
जुलाई 2018 के पहले सप्ताह में इस ख़बर ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. बुराड़ी में रहने वाले भाटिया परिवार के 11 सदस्य एक साथ अपने घर के अंदर फांसी पर लटके पाए गए थे. जब दिल्ली पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू की तो हर दिन नए खुलासे हुए. पहले एक रजिस्टर मिला. जिसमें लिखे निर्देश ही भाटिया परिवार मानता था. उसी में मौत का ये खौफनाक खेल भी लिखा था.
इस केस में सीबीआई ने पुलिस को साइकोलॉजिकल अटॉप्सी की रिपोर्ट सौंपी. जिसमें खुलासा हुआ कि भाटिया परिवार के लोग खुदकुशी नहीं करना चाह रहे थे. उनकी मौत एक हादसा है, यानी गलती से उस परिवार के सभी लोग मर गए. तफ्तीश भी यही इशारा कर रही थी. परिवार और रिश्तेदारों से बातचीत की गई. मेडिकल रिकॉर्ड देखे गए. इसके बाद पुलिस और सीबीआई इस निर्णय पर पहुंचे. हालांकि ये मामला अभी भी एक ऐसी गुत्थी है, जिसका जवाब मिलना अभी बाकी है.
नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड
साल 2013 में पुणे में नरेंद्र दाभोलकर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में सीबीआई ने विरेंद्र तावड़े समेत अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था, तब सचिन प्रकाशराव अंदुरे मामले में संदिग्ध नहीं था. हाल ही में मामले के तीन आरोपियों को महाराष्ट्र एटीएस ने गिरफ्तार किया था. जांच पड़ताल के दौरान इन तीन आरोपियों में से एक आरोपी ने एटीएस को बताया कि अंदुरे दाभोलकर हत्याकांड में सीधे तौर पर शामिल था. वह और एक अन्य आरोपी ने हत्या को अंजाम देने के लिए एक बाइक का इस्तेमाल किया था.
इसके बाद आरोपी सचिन प्रकाशराव अंदुरे को गिरफ्तार कर लिया गया था. दाभोलकर अंधविश्वास के खिलाफ काम करते थे. उनकी हत्या का आरोप सनातन संस्था पर है. अभी तक इस संस्था से जुड़े कई लोग गिरफ्तार किए गए हैं. लेकिन इस हत्याकांड की गुत्थी अभी तक उलझी हुई है. जांच एजेंसी सारी कड़ियां जोड़ने की कोशिश कर रही है.
गौरी लंकेश हत्याकांड
सितंबर 2017 में वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की बंगलुरू में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बताया जाता है कि चार अज्ञात हमलावरों ने राज राजेश्वरी इलाके में गौरी के घर के बाहर उन पर काफी करीब से फायरिंग की थी, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई थी. बंगलुरू पुलिस ने बताया कि गौरी लंकेश का खून से सना शव वहां से बरामद हुआ था. गौरी साप्ताहिक मैग्जीन 'लंकेश पत्रिके' की संपादक थीं. इसके साथ ही वो अखबारों में कॉलम भी लिखती थीं. टीवी न्यूज चैनल डिबेट्स में भी वो एक्टिविस्ट के तौर पर शामिल होती थीं. लंकेश के दक्षिणपंथी संगठनों से वैचारिक मतभेद थे.
उनकी हत्या की जांच में खुलासे होने शुरू हुए तो सुई फिर से दाभोलकर के हत्यारों की तरफ घूम गई यानी सनातन संस्था पर. जांच एसआईटी कर रही थी. लिहाजा कुछ लोगों को नामजद भी किया गया. गिरफ्तारी का दौर भी शुरू हुआ. जांच में हिंदू सनातन संस्था के कोर सदस्यों को गौरी लंकेश की हत्या के पीछे मास्टरमाइंड माना गया. उस संगठन की हिट लिस्ट में 37 नाम थे और गौरी लंकेश उनमें से एक थीं. यह मामला अभी तक जांच के दायरे में है.