
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की के साथ बातचीत करेंगे और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश के लिए उनके देश का समर्थन मांग सकते हैं. न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री मंगलवार शाम भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर पहुंचे.
न्यूजीलैंड उन देशों में शामिल है जिन्होंने जून में दक्षिण कोरिया में आयोजित एनएसजी के पिछले पूर्ण सत्र में यह रूख अख्तियार किया था कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देश भारत के मामले को अपवाद स्वरूप नहीं लिया जा सकता. पूर्ण सत्र में अमेरिका के पुरजोर समर्थन के बावजूद चीन ने इस आधार पर भारत के प्रयासों में अवरोध डाला था कि उसने एनपीटी पर दस्तखत नहीं किये हैं.
जॉन की के दौरे से पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि भारत न्यूजीलैंड को बताएगा कि वह एनएसजी की सदस्यता के नाते सारी पात्रताएं रखता है और इससे एनपीटी व्यवस्था मजबूत होगी. विकास स्वरूप ने कहा था, ‘‘हमारा मानना है कि हम परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बनने की सारी पात्रताएं रखते हैं और हमें उम्मीद है कि अंतत: 48 सदस्यीय समूह में भारत का प्रवेश होगा क्योंकि इससे वैश्विक परमाणु अप्रसार व्यवस्था मजबूत ही होगी.’’ जॉन सोमवार को मुंबई पहुंचने वाले थे लेकिन अपने विमान में किसी तकनीकी समस्या की वजह से उन्होंने यात्रा के इस चरण को रद्द कर दिया था.
जॉन की दिल्ली में मोदी के साथ प्रमुख द्विपक्षीय मुद्दों पर गहन वार्ता करेंगे और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करेंगे. वह राजधानी में उद्योगपतियों के एक सम्मेलन में भी शामिल होंगे. गुरुवार को वह कोच्चि जाएंगे. कोच्चि में वह और उनका प्रतिनिधिमंडल कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के नये टर्मिनल का संक्षिप्त दौरा करेगा और वहां न्यूजीलैंड की कंपनी ग्लाइडपाथ के किये काम का मुआयना करेंगे. इससे पहले वे पिछली बार 2011 में भारत आये थे.