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चाइनीज मांझे पर NGT ने लगाई पूरी तरह से रोक, सुरक्षा का दिया हवाला

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने देश भर में पतंग उड़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाले नायलॉन और चाइनीज मांझे की खरीद फरोख्त, स्टोरेज और इस्तेमाल पर दिल्ली समेत पूरे देश में सख्ती से रोक की बात कही है. यह रोक ग्लास कोटिंग वाले कॉटन मांझे पर भी लगायी गई है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यह आदेश खास तौर पर लगातार चाइनीज मांझे से घायल होने वाले लोगों के मद्देनजर दिया है.

एनजीटी एनजीटी
पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 7:01 PM IST

वैसे तो 15 अगस्त के दिन देश की राजधानी समेत कई इलाकों में पतंगबाजी की जाती है लेकिन यदि आप चाइनीज मांझे से पतंग उड़ाने के शौकीन हैं तो यह खबर आपके लिए मुफीद नहीं है. दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने देशभर में पतंग उड़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाले नायलॉन और चाइनीज मांझे की खरीद फरोख्त, स्टोरेज और इस्तेमाल पर दिल्ली समेत पूरे देश में सख्ती से रोक की बात कही है. यह रोक ग्लास कोटिंग वाले कॉटन मांझे पर भी लगायी गई है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यह आदेश खास तौर पर लगातार चाइनीज मांझे से घायल होने वाले लोगों के मद्देनजर दिया है.

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इसके अलावा अक्सर पक्षियों के भी इस इस तरह के सिन्थेटिक माझें में फंसने से घायल होने की खबरें आए दिन देखने-सुनने को मिलती हैं. कुछ दिनों पहले दिल्ली-एनसीआर में एक व्यक्ति की बाइक चलाते वक्त गले में चाइनीज मांझा उलझ जाने के बाद गला कटने की वजह से मौत हो गई थी. एनजीटी ने अपने आदेश में सिर्फ सूती धागे से ही पतंग उड़ाने की इजाजत दी है.

गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का ये बैन पूरे देश पर लागू है. इससे पहले एनजीटी ने बैन लगाने को लेकर पिछले साल दिसंबर में अंतरिम आदेश दिया था. इस मामले मे मांझा एसोसिएशन ने कोर्ट को दी अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि ये मांझे किस तरह बायो डिग्रेडेबल हैं और आम लोगों के साथ-साथ पर्यावरण के लिए सुरक्षित नहीं हैं.

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यहां हम आपको बताते चले कि पिछले साल 15 अगस्त के दौरान भी राजधानी दिल्ली मे पंतग के मांझे से उलझकर 2 मासूम बच्चों की जान चली गई थी और कई लोग घायल भी हो गए थे. उस दौरान भी सवाल उठा था कि दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश का वक्त रहते मांझे पर बैन लगाने को लेकर नोटिफिकेशन नहीं जारी किया. ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से जारी किए गए आदेश के बाद अगर सभी राज्य गंभीरता से इस आदेश का पालन कराएं तो मांझे से घायल होने वाले लोगों और पक्षियों की जान को बचाया जा सकता है.

 

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