
ईस्ट एमसीडी (ईडीएमसी) के नकारापन से नाराज नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने फटकार लगाते हुए सिविक एजेंसी को कहा है कि उसके लापरवाह रवैये के चलते स्कूल के छात्रों को मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है. इंद्रप्रस्थ इलाके में एमसीडी के स्कूल के बाहर कूड़ा फेंकने के मामले में एनजीटी ने ये टिप्पणी की है.
NGT कूड़ा साफ करने का दिया आदेश
ईडीएमसी पर नाराजगी जाहिर करते हुए एनजीटी के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार की पीठ ने आदेश दिया कि दिल्ली सरकार और ईडीएमसी तुंरत इस मसले पर बैठक करें. इस समस्या का हल
जल्दी किया जाए जिससे बच्चों की परेशानी हल हो सके. एनजीटी ने साफ कहा कि स्कूल के बाद स्थित डलावघर से कूड़ा पूरी तरह साफ किया जाए.
कूड़े से छात्रों को होती है परेशानी
सुनवाई के दौरान ईडीएमसी ने कोर्ट को बताया कि स्कूल के पास एक और डलावघर भी है. लेकिन कुछ स्थानीय लोगों के विरोध के चलते उसका इस्तेमाल नहीं किया जाता. हम उसे इस्तेमाल
करना चाहते हैं. वहीं याचिकाकर्ता ने स्कूली बच्चों के बारे मे बताते हुए कहा कि कूड़े की बदबू से छात्रों को उल्टियां आती हैं. उन्हें पढ़ाई करने में परेशानी हो रही है.
12 अगस्त को एनजीटी ने पहले ही डलावघर पर कूड़ा डालने पर रोक लगाई थी. एनजीटी ने ईडीएमसी से कहा था कि वो ये सुनिश्चित करें कि स्कूल के बाहर डलावघर पर कोई कूड़ा न डालें बल्कि वहां ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 लागू किया जाए. याचिका रिटायर्ड वैज्ञानिक डॉ. सीवी सिंह ने दायर की है. सिंह के मुताबिक स्कूल के बाहर हमेशा कूड़ा पड़ा रहता है. जिससे काफी बदबू आती है और मच्छर पनप रहे हैं. गंदगी के चलते बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आ रहीं है. इससे बच्चों को मानसून के मौसम मे कई जानलेवा बीमारियां होने का खतरा बना हुआ है.