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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक आरटीआई कार्यकर्ता से 10 रुपये की फीस वसूलने के लिए 31 हजार रुपये खर्च कर डाले. मुख्य सूचना आयुक्त ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसके लिए अंग्रेजी के मुहावरे 'पेनी वाइस पाउंड फूलिश' का इस्तेमाल किया है.
दरअसल आरटीआई का आवेदन करने वाले शख्स ने कोर्ट फी स्टैंप में 10 रुपये की फीस भरी थी. लेकिन एनजीटी का कहना था कि उसका पेमेंट दफ्तर में प्रमाणित नहीं हो सका. लिहाजा एनजीटी ने आवेदक को 10 रुपये की फीस आईपीओ या डिमांड ड्राफ्ट के जरिये भरने के लिए चिट्ठी लिखी.
आवेदक से यह भी कहा गया कि वह मांगी गई जानकारी ऑफिस में आकर ले ले. यह चिट्ठी लिखने में करीब 50 रुपये का खर्च किया गया. मामला कोर्ट में गया और एनजीटी ने इसके लिए अदालती कार्यवाही में 31 हजार रुपये फूंक डाले.
(इनपुट: भाषा)