
झारखंड के पलामू जिले में हुए फर्जी नक्सल मुठभेड़ कांड पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने काफी कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से तीन महीने के भीतर CBCID की रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने राज्य सरकार से पुछा कि इस मामले में अबतक हुए डवलवमेंट के बारे में उसे सूचित करे. जून 2015 में पलामू जिले के बकोरिया इलाके में पुलिस ने दर्जन भर नक्सलियों को मुठभेड़ के दौरान मार गिराने का दावा किया था.
पुलिस के दावे
इस संबंध में पुलिस ने दावा किया था कि पलामू में सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया गांव में देर रात करीब तीन घंटे तक मुठभेड़ चली थी जिसमें 12 माओवादी मारे गए. सीआरपीएफ और पुलिस के द्वारा चलाये गए सर्च ऑपरेशन में यह सफलता मिली. ये भी बताया गया था की इस मुठभेड़ की शुरुआत नक्सलियों की तरफ से हुई थी. जिसका जवाब पुलिस की ओर से दिया गया. घटना स्थल से पुलिस ने एक क्षतिग्रस्त स्कॉर्पियो कार और 8 रायफल सहित 250 कारतूस बरामद किेए थे. मुठभेड़ में मारे गए दो नक्सलियों की पहचान भी की गई थी. पहले की पहचान उत्तम यादव के रूप में हुई जो मनिका में पारा शिक्षक हैं, वहीं दूसरे की पहचान योगेश कुमार यादव के रूप में हुई है जो हजारीबाग का रहने वाला है. पुलिस ने दावा किया था कि 2013 के कटिया गांव में शहीद के शरीर में बम प्लांट करने वाला नक्सली आरके प्रसाद भी इस मुठभेड़ में मारा गया.
मानवाधिकार ने सुरक्षा से जुड़े संगठनों ने की थी निंदा
इस दावे पर कई संगठनो ने आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे फर्जी करार दिया था. बाद में यह मामला NHRC के समक्ष भी पहुंचा, उन दिनों मानवाधिकार सुरक्षा के लिए काम करने वाले करीब एक दर्जन संगठनों के साझा मंच कोर्डिनेशन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स ऑर्गनाइजेशन यानी सीडीआरओ ने पलामू जिले के बकोरिया में 8 जून की रात हुई पुलिस-नक्सली कथित मुठभेड़ की कड़ी निंदा करते हुए इसे सीधा हत्या का मामला बताया था. सीडीआरओ की टीम ने कहा था इसे किसी स्थिति में भी इसे मुठभेड़ नहीं माना जा सकता. पुलिस मुठभेड़ कह कर अपनी पीठ थपथपा रही है. दरअसल सतबरवा ओपी और लातेहार जिले के मनिका थाना क्षेत्र की सीमा पर स्थित बकोरिया गांव के भलुवाही में मुठभेड़ के नाम पर मारे गए 12 लोग मारे गए थे. जो अधिकतर आदिवासी और पिछड़े समुदाय के थे. इसमें मारे गए तीन नाबालिग जिनकी उम्र 12, 14 और 16 साल थी.