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विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने शिकंजा कस दिया है. जाकिर नाईक के खिलाफ एनआईए ने मुंबई की विशेष अदालत में गुरुवार को हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है. चार्जशीट में नाईक पर देशद्रोह जैसे संगीन आरोप लगाए गए हैं.
देशद्रोह के साथ जाकिर नाइक पर आतंकी बनने के लिए उकसाने के भी आरोप हैं. एनआईए ने 18 नवंबर 2016 को अपनी मुंबई शाखा में नाइक के खिलाफ यूएपीए कानून और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.
दरअसल, जाकिर नाईक जुलाई 2016 में बांग्लादेश के ढ़ाका में हुए आतंकी हमले के बाद एनआईए के राडार पर आया था. हमले के बाद आतंकियों ने कहा था कि जाकिर नाईक के भाषण से प्रेरित होकर उन्होंने यह हमला किया है. जिसके बाद नाईक 1 जुलाई 2016 को भारत से फरार हो गया था.
जाकिर नाईक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को पहले ही गृह मंत्रालय गैरकानूनी घोषित कर चुका है. साथ ही उनका पासपोर्ट भी रद्द किया जा चुका है. इसके अलावा जाकिर नाइक के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट भी जारी किया गया है. वहीं आर्थिक अपराधों की जांच करने वाली एजेंसी ED भी जाकिर नाईक की संस्था पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है. मुंबई में नाईक की संस्था के दफ्तरों को बंद करवा दिया गया है.
NIA आईजी ने क्या कहा
एनआईए के आईजी आलोक मित्तल ने आजतक से बातचीत में कहा कि जाकिर नाईक के खिलाफ चार्जशीट के अलावा IRF और हारमनी मीडिया के खिलाफ भी चार्जशीट दाख़िल की गई है. उन्होंने बताया कि NIA के पास इनके खिलाफ कई डॉक्यूमेंट्री, ओरल और फॉरेंसिक एविडेंस मौजूद हैं. इस बात के भी सबूत हैं कि कई लोग जाकिर के स्पीच वाले वीडियो से प्रभावित हुए हैं, जो बाद में ISIS में शामिल हुए.
एनआईए आईजी ने ये भी बताया अब लीगल विकल्प हैं, जिससे जाकिर नाइक को भारत वापस लाया जा सके.