
अमृतसर में रविवार को ग्रेनेड से हुए हमले को लेकर मंथन का दौर शुरू हो चुका है. इसी के तहत केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक की.
इस बैठक में आईबी और रॉ चीफ के अलावा सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े दूसरे अधिकारी भी मौजूद थे. बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े पदाधिकारियों से विस्तृत चर्चा की. इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से फोन पर बात कर जांच से जुड़े तमाम सहयोग देने की बात कही थी. इन सबके बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीम रविवार रात को अमृतसर पहुंची. यहां टीम ने ग्रेनेड हमले वाले स्पॉट का जायजा लिया.
ISI का पूरा नेटवर्क काम कर रहा था
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अमृतसर ग्रेनेड हमले के पीछे ISI का पूरा नेटवर्क काम कर रहा था. इंटेलिजेंस के सूत्रों के मुताबिक जम्मू - कश्मीर में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने आतंकियों को हैंड ग्रेनेड हमले के लिए तैयार किया. इसके लिए कश्मीरी मॉड्यूल का सहारा लिया गया.
कश्मीर और खालिस्तान का नया मॉड्यूल सैन्य ठिकानों और सैन्य बलों पर हैंड ग्रेनेड फेंकने और फरार होने की तकनीक में दक्ष हैं. सूत्रों के मुताबिक इस नए तरीके का सहारा लेकर पाक खुफिया एजेंसी, पंजाब में खालिस्तानी आतंकियों की मदद से लागू करने की कोशिश में जुटा हुआ है.
इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक हैंड ग्रेनेड को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाना आसान है. हैंड ग्रेनेड से होने वाले ब्लास्ट का प्रभाव भी इतना होता है कि धमाका भी हो जाता है और लोग हताहत भी हो जाते हैं. इसके साथ ही हैंड ग्रेनेड के इस्तेमाल के लिए लोकल युवाओं को ट्रेनिंग भी सोशल मीडिया और मैसेंजर एप्स के जरिए आसानी से दी जा सकती है. इसी वजह से अब ये हैंड ग्रेनेड पंजाब में आतंक का नया हथियार बनकर उभर रहा है.
सुरक्षा एजेंसियों ने दी थी रिपोर्ट
हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक खालिस्तान समर्थक ISI की सह पर यूएई से फंड जुटा रहे हैं. इनका मकसद है कि एक बार फिर पंजाब में खालिस्तानी आतंकियों को फंडिंग कर उनको पंजाब में हिंसा के लिए भड़काया जाए. यही नहीं, खालिस्तानी गुट कुछ लोगों को यूएई के शूटिंग क्लब में हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी देने में जुटे हुए हैं.