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NSCN-K ने ली मणि‍पुर हमले की जिम्मेदारी, NIA कर सकती है जांच

मणिपुर में हमले में 20 जवानों के शहीद होने के बाद इस वारदात की जांच तेज होने की उम्मीद जगी है. गृह मंत्रालय जल्द ही केस की जांच NIA को सौंप सकता है.

मणिपुर में हमले के बाद की फोटो मणिपुर में हमले के बाद की फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 जून 2015,
  • अपडेटेड 6:09 PM IST

मणिपुर में हमले में 20 जवानों के शहीद होने के बाद इस वारदात की जांच तेज होने की उम्मीद जगी है. गृह मंत्रालय जल्द ही केस की जांच NIA को सौंप सकता है.

NSCN-K ने ली हमले की जिम्मेदारी
विद्रोही समूह NSCN-K ने गुरुवार को हुए हमले की जिम्मेदारी ली है. हालांकि पूरी जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी.

सूत्रों के मुताबिक, NIA के महानिदेशक ने शुक्रवार को गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की. उम्मीद की जा रही है कि मामला NIA को सौंपे जाने को लेकर जल्द की आदेश जारी हो सकता है.

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NIA वह जांच एजेंसी है, जो भारत में आतंकी हमलों की जांच करती है. गृह मंत्रालय वारदात से संबंधित राज्य की सहमति के बिना भी NIA को जांच की जिम्मेदारी सौंप सकता है.

आर्मी चीफ कर रहे हैं मणिपुर का दौर
इस बीच, आर्मी चीफ दलबीर सिंह शुक्रवार को मणिपुर का दौरा कर रहे हैं. वे वहां हमले के बाद हालात का जायजा लेंगे और जवानों को जरूरी निर्देश देंगे. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर पहले ही सुरक्षा बलों को कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दे चुके हैं.

हमले में 20 जवान हुए थे शहीद
मणिपुर के चंदेल जिले में आतंकियों ने दो दशक के सबसे भयावह हमले में गुरुवार को सेना के एक काफिले पर घात लगाकर धावा बोल दिया, जिसमें 20 जवान शहीद हो गए और 11 अन्य घायल हो गए.

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सेना और प्रशासनिक अधिकारियों को इस हमले में मणिपुर के उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) तथा मीतेई विद्रोही संगठन कांगलेई यावोल कन्ना लुप (KYKL) के शामिल होने का संदेह है, जो हमलों में बारूदी सुरंगों, रॉकेट चालित ग्रेनेड और स्वचालित हथियारों का इस्तेमाल करते हैं.

आईईडी विस्फोट के बाद आतंकियों ने आरपीजी और स्वचालित हथियारों से सेना के चार वाहनों के काफिले पर भारी गोलीबारी शुरू कर दी. सेना के प्रवक्ता कर्नल रोहन आनंद ने दिल्ली में बताया, ‘हमले में 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए और 11 घायल हो गए.’

पुलिस ने बताया कि एक संदिग्ध आतंकी भी मारा गया है. हमला सुबह नौ बजे के आसपास तब हुआ जब गश्ती दल पारालोंग और चारोंग गांवों के बीच में एक स्थान पर पहुंचा था.

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