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जानें, दिल्ली वालों के लिए कितना खतरनाक है 'निपाह' वायरस

डॉ. अग्रवाल का कहना है कि 2001 में भारत के सिलीगुड़ी में ये वायरस पहले भी आ चुका है. बांग्लादेश और मलेशिया में इस तरह के केस होते रहते हैं, चिंता का विषय है कि इस बार ये केरल में यह आया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अंकित यादव
  • नई दिल्ली,
  • 22 मई 2018,
  • अपडेटेड 8:25 AM IST

भारत में निपाह वायरस को लेकर चिंता बढ़ गई है. केरल में इस वायरस की चपेट में आने से 6 लोग अपनी जान गवां बैठे हैं. इस वायरस से लोगों को कितना सावधान रहना चाहिए और दिल्ली में इस वायरस का कितना खतरा है यह जानने के लिए हमने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर के.के. अग्रवाल से खास बात की.

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डॉ. अग्रवाल का कहना है कि 2001 में भारत के सिलीगुड़ी में ये वायरस पहले भी आ चुका है. बांग्लादेश और मलेशिया में इस तरह के केस होते रहते हैं, चिंता का विषय है कि इस बार ये केरल में यह आया है. हालांकि, अभी तक ये नहीं पता चला है कि ये वायरस किस तरह फैला है.

उन्होंने बताया कि वायरस इतना खतरनाक है कि 30% से ज्यादा चपेट में आए लोगों की मौत हो जाती है. यह दिमागी बुखार है भारत में दो तरह की इनफ्लाइटीस कॉमन है यह तीसरे तरीके का है.

दिल्ली वालों को डरने की जरूरत नहीं!

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर के के अग्रवाल कहते हैं कि फिलहाल दिल्ली वालों को डरने की जरूरत नहीं है और अभी कोई पैनिक की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि जो लोग केरल प्रभावित इलाके में रहते हैं, अगर उन्हें बुखार होता है तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. खतरा भले ही कम हो लेकिन सभी को हाईअलर्ट पर रहने की जरूरत है.

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कैसे हैं इसके लक्षण और क्या हो सकता है इसका इलाज?

सरकार ने अब तक हाई अलर्ट घोषित नहीं किया अगर कोई ज्यादा चिंता की बातहोती तो एयरपोर्ट में हाई अलर्ट घोषित होता. इस वायरस की अब तक कोई वैक्सीन नहीं है. हालांकि, इससे मिलते-जुलते वायरस की वैक्सीन ऑस्ट्रेलिया में है. इसके लक्षण के बारे में उन्होंने कहा कि वायरस की चपेट में आने पर पहले बुखार आएगा, जब बुखार ब्रेन में चला जाएगा तो उल्टी होगी चक्कर आएंगे, थकावट होगी.

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