
पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी को भारत लाने के लिए कोशिशें लगातार जारी हैं. हाल ही में पता लगा कि नीरव ब्रिटेन में शरण लिए हुए है, जिसके बाद इस प्रक्रिया ने और भी रफ्तार पकड़ ली है. लेकिन भारत की इन कोशिशों को बड़ा झटका लग सकता है. जिस संधि की वजह से भारत नीरव मोदी और विजय माल्या को वापस ला सकता था, उस पर अभी दोनों देशों के बीच बात रुकी हुई है.
2016 में दोनों देशों के बीच अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर एक एमओयू पर साइन होने थे, लेकिन तकनीकी कमियों के कारण ये नहीं हो सका. इस मुद्दे को यूके की प्राइम मिनिस्टर थेरेसा मे ने भी भारत के सामने उठाया था. उन्होंने कहा था कि इस संधि के साथ हम उन लोगों को जल्द भारत वापस भेज सकते हैं जो अवैध रूप से रह रहे हैं.
सूत्रों की मानें तो अगर इस संधि पर बात बनती है तो करीब 50 हजार भारतीयों को ब्रिटेन छोड़ना पड़ेगा. जिसके कारण बात आगे नहीं बढ़ सकी है.
इस मसले पर बात करने के लिए सोमवार को यूके की टीम भारत आई और उन्होंने केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू से मुलाकात की. भारत और यूके दोनों देश इस मुद्दे पर बात करके आगे बढ़ना चाहते हैं, जिसकी मदद से नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे लोगों को भारत लाया जा सके.
बताया जा रहा है कि अवैध प्रवासियों का मुद्दा काफी पुराना है, इससे पहले भी ये मुद्दा करीब 6 महीने उठा था. कुछ समय पहले ही नरेंद्र मोदी के ब्रिटेन दौरे के दौरान भी इस मुद्दे पर बात हुई थी, लेकिन समझौते पर साइन नहीं हो पाया था. सूत्रों की मानें तो अभी भी इस समझौते की कुछ बातों पर भारत राजी नहीं हुआ है.
ऐसे मामलों में अगर किसी व्यक्ति के डॉक्यूमेंट पूरे नहीं हैं तो भारतीय एजेंसियों को 72 दिनों में जांच करनी होगी और कागज पूरे हैं तो सिर्फ 15 दिन में जांच को पूरा करना होगा. हालांकि, हर साल कई ऐसे भारतीयों को वापस भेजा जाता है लेकिन एमओयू साइन होने के बाद ये संख्या काफी बड़ी हो सकती है. भारत ने अभी तक ब्रिटेन के सामने करीब 19 प्रत्यर्पण की अर्जियां दी हैं, इसके अलावा 53 LR भी दिए गए हैं.