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Nirbhaya Case: निर्भया के दोषियों की फिर टल सकती है फांसी! विनय ने दायर की दया याचिका

Nirbhaya Case: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निर्भया मामले के एक दोषी मुकेश की याचिका खारिज कर दी. उसने राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किए जाने की न्यायिक समीक्षा की मांग की थी.

Nirbhaya Case: एक बार फिर टल सकती है निर्भया के गुनाहगारों की फांसी Nirbhaya Case: एक बार फिर टल सकती है निर्भया के गुनाहगारों की फांसी
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 7:26 PM IST

  • बुधवार को विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास पहुंची
  • विनय की क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है

निर्भया के हत्यारों की फांसी फिर टल सकती है. फांसी की सजा से बचने के लिए चारों दोषियों में से एक विनय ने नया पैतरा चला है. विनय के वकील एपी सिंह ने दया याचिका दाखिल कर दी है. बुधवार को राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की गई. विनय की क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है.

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वहीं, अक्षय और पवन के पास क्यूरेटिव याचिका का विकल्प भी है. क्यूरेटिव खारिज होने के बाद दया याचिका और वो भी खारिज होने के बाद उसे चुनौती देने का विकल्प भी उनके पास है. विनय की दया याचिका खारिज होने के बाद मुकेश की तरह वो भी चुनौती याचिका दायर कर सकता है. ऐसे में अब लगभग तय है कि 1 फरवरी को इनकी लाइफ लीज थोड़ी बढ़ जाएगी.

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मुकेश की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निर्भया मामले के एक दोषी मुकेश की याचिका खारिज कर दी. उसने राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किए जाने की न्यायिक समीक्षा की मांग की थी. साल 2012 में दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में चार दोषियों को तीन दिन बाद फांसी की सजा दी जानी है.

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न्यायमूर्ति आर. भानुमति, अशोक भूषण और ए.एस. बोपन्ना की सदस्यता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले से संबंधित सभी मामले राष्ट्रपति के समक्ष पेश किए गए थे और इसके बाद उसकी (मुकेश की) दया याचिका पर फैसला किया गया.

कोर्ट ने वकील के तर्क को किया खारिज

कोर्ट ने कहा कि जेल में दोषी को कथित खराब व्यवहार और क्रूरता को आधार मानकर दया नहीं दी जा सकती. मुकेश के वकील के उस तर्क को भी अदालत ने खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि समय राष्ट्रपति ने दया याचिका पर जल्दबाजी में निर्णय लिया. कोर्ट ने कहा, 'राष्ट्रपति ने जल्दी ही निर्णय ले लिया, तो इसका मतलब यह नहीं कि उन्होंने बिना सोचे-समझे यह निर्णय लिया.'

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