
निर्भया रेप कांड के दोषियों का डेथ वारंट जारी करने वाले जज सतीश कुमार अरोड़ा का ट्रांसफर हो गया है. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के पद पर तैनात जज सतीश अरोड़ा को अब सुप्रीम कोर्ट भेजा गया है. सुप्रीम कोर्ट में उन्हें अतिरिक्त रजिस्ट्रार के तौर पर एक साल के लिए डेपुटेशन पर भेजा गया है.
साल 2012 में दिल्ली में हुए गैंगरेप के चारों दोषियों के खिलाफ बीते दिनों ही डेथ वारंट जारी किया गया था. ये मामला पिछले कई वर्षों से अदालत के चक्कर काट रहा था. लेकिन अब 1 फरवरी, 2020 की सुबह सात बजे फांसी देने का समय तय किया गया है.
दो बार जारी हो चुका है डेथ वारंट
बता दें कि निर्भया केस के चार दोषी मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को पहले ही फांसी की सजा दिए जाने का ऐलान हो गया है. पिछले एक महीने में दो बार चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी हो गया है, पहले 22 जनवरी 2020 को फांसी देने का ऐलान किया गया था. लेकिन दोषी विनय के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की वजह से फांसी की सजा टल गई और उसे बढ़ाकर 1 फरवरी 2020 कर दिया गया.
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याचिकाओं के चक्कर में आगे बढ़ रही तारीख
निर्भया के दोषी फांसी की सजा को टालने की लगातार कोशिशें कर रहे हैं. पहले विनय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दायर की गई, फिर मुकेश ने भी ऐसा ही किया. लेकिन बारी-बारी से दोनों की याचिकाओं को खारिज कर दिया गया. इसके बाद मुकेश ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने दया याचिका दायर की थी, लेकिन वहां से भी याचिका को खारिज कर दिया गया. लगातार याचिकाओं की वजह से ही कोर्ट ने फांसी की तारीख को बढ़ा दिया था.
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तैयारी पूरी, पूछी गई आखिरी इच्छा
तिहाड़ जेल प्रशासन ने निर्भया के चारों दोषियों को फांसी की सजा देने की तैयार शुरू कर दी है. प्रशासन ने चारों दोषियों से उनकी आखिरी इच्छा पूछी है. प्रशासन की ओर से पूछा गया है कि फांसी से पहले वह अपनी अंतिम मुलाकात किससे करना चाहते हैं? उनके नाम अगर कोई प्रॉपर्टी या बैंक खाते में जमा कोई रकम है तो उसे किसी के नाम ट्रांसफर करना चाहते हैं?
केंद्र सरकार की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें सात दिन के अंदर दोषियों को फांसी देने की मांग की गई है. सरकार ने इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ही 2014 में बनाई गई एक गाइडलाइन को चुनौती दी है और इससे दोषियों को फायदा पहुंचने की बात की है.