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पनगढ़िया गए, अब कैसे पूरे होंगे नीति आयोग में मोदी के ये 3 ड्रीम प्रोजेक्ट

आयोग के उपाध्यक्ष पनगढ़िया योजना आयोग के मुखर आलोचक रहे हैं. उन्हें मोदी सरकार का बड़ा समर्थक भी माना जाता रहा है. वह अमेरिकी-भारतीय अर्थशास्त्री हैं और नीति आयोग की कमान संभालने से पहले कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे.

नीति आयोग में मोदी सरकार के इन तीन ड्रीम प्रोजेक्ट को छोड़ गए पनगढ़िया नीति आयोग में मोदी सरकार के इन तीन ड्रीम प्रोजेक्ट को छोड़ गए पनगढ़िया
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 02 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 9:42 AM IST

नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया का इस्तीफा तीन साल की मोदी सरकार में सबसे बड़ा इस्तीफा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्रचारी से योजना आयोग की जगह एक नई संस्था नीति आयोग बनाने की घोषणा की थी.

26 मई 2014 को शपथ लेने के बाद मोदी सरकार ने देश में बड़े स्तर पर बदलावों की बात करते हुए देश की नीति बनाने वाली संस्था योजना आयोग को खत्म कर दिया. उसकी जगह सरकार ने नीति आयोग की नींव रखी और उसे देश की आर्थिक-सामाजिक नीतियों के निर्धारण का काम दिया. अब अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले अरविंद पनगढ़िया ने जाहिर कर दिया है कि वह इस जिम्मेदारी को अब वहन नहीं करना चाहते.

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आयोग के उपाध्यक्ष पनगढ़िया योजना आयोग के मुखर आलोचक रहे हैं. उन्हें मोदी सरकार का बड़ा समर्थक भी माना जाता रहा है. वह अमेरिकी-भारतीय अर्थशास्त्री हैं और नीति आयोग की कमान संभालने से पहले कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे. पनगढ़िया एशियाइ विकास बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री भी रह चुके हैं. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले नीति आयोग में पनगढ़िया के साथ सभी राज्यों के मुख्यमंत्री गवर्नर काउंसिल के सदस्य के तौर पर शामिल थे.

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नीति आयोग को नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांस्फॉर्मिंग इंडिया (NITI) नाम देते हुए केन्द्रीय कैबिनेट ने 1 जनवरी 2015 को स्थापित किया. केन्द्र सरकार के लिए नीतियों का निर्माण करने के लिए नीति आयोग ने 3 अहम उद्देश्यों को सामने रखा- डिजिटल इंडिया, कोऑपरेटिव फेडरलिज्म, महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाना, अर्थात 'नीति आयोग का उद्देश्य है ऐसे सुदृढ़ राज्यों का निर्माण करना जो आपस में एकजुट होकर एक सुदृढ़ भारत का निर्माण करें. राज्यों और केंद्र की ज्ञान प्रणालियां विकसित करना.'

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बतौर नीति आयोग उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया पर थी मोदी सरकार के इन गेमचेंजर प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी:

1. डिजिटल इंडिया- इंटरनेट पर डेवलपमेंट का खेल

देश से भ्रष्टाचार का खात्मा करने के लिए केन्द्र सरकार ने डिजिटल इंडिया की दिशा में बड़ा कदम उठाया. कालेधन पर लगाम लगाने और देशभर में कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलानकरते हुए अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक संचालित 500 और 1000 रुपये की करेंसी को प्रतिबंधित कर दिया. इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भीम आधार प्लैटफॉर्म लांच किया जिसका मकसद देश में छोटे कारोबारियों को कैशलेस ट्रांजैक्शन के लिए प्रोत्साहित करना था. इन कोशिशों के चलते केन्द्र सरकार ने अप्रैल 2017 तक 75 शहरों को कम कैश इस्तेमाल के लिए चिन्हित किया. हालांकि नोटबंदी के बाद देश के कुछ हिस्सों में कैश की किल्लत का मामला भी सामने आया और आर्थिक आंकड़ों में भी नोटबंदी का आंशिक असर देखने को मिला. लेकिन देश और दुनिया के ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने नोटबंदी से लंबी अवधि में फायदा मिलने का दावा किया.

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2. कोऑपरेटिव फेडरलिज्म- टीम इंडिया का सपना

केन्द्र सरकार की कोशिश रही कि वह देश में मजबूत राज्यों का निर्माण करे जिससे एक सशक्त भारत बना सकते हैं. इसके लिए केन्द्र सरकार ने पूरे देश को एक कॉमन मार्केट बनाने की दिशा में जीएसटी बिल को पारित कराने में अहम भूमिका निभाई. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने जीएसटी के मुद्दे पर पूरे देश में आम सहमति बनाने में सफलता पाई और सभी राज्यों की सक्रियता से अंतिम फैसला लिया. अब केन्द्र सरकार की कोशिश जुलाई 2017 से इसे प्रभावी करने की है जिसके लिए GST काउंसिल (सभी राज्यों की अहम भूमिका) को मुख्य किरदार के तौर पर रखा गया है. अब माना जा रहा है कि जीएसटी को सफलता के साथ लागू करने के बाद देश की अर्थव्यवस्था को तेज गति से बढ़ने का मौका मिलेगा. आर्थिक जानकारों का दावा है कि पूरे देश में जीएसटी पूर्ण रूप से प्रभावी होने के बाद देश को डबल डिजिट की विकास दर भी देखने को मिल सकती है.

3. महिलाओं को क्या मिला?

केन्द्र सरकार ने नीति आयोग के निर्देशों पर बीते तीन साल के दौरान कई अहम योजनाओं को शुरू किया जिससे देशभर में महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में अहम कहा जा सकता है. इन योजनाओं में सबसे अहम केन्द्र सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को स्वच्छ और सुरक्षित कुकिंग के लिए उज्जवला स्कीम के तहत एलपीजी मुहैया कराने की थी. वहीं मोदी सरकार ने जनधन स्कीम के तहत महिलाओं को बैंकिंग की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया. साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित किए जाने वाले ज्यादातर मकानों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम पर करने का मसौदा सामने रखा है.

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