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बाल विवाह के खिलाफ रंग ला रही है नीतीश की मुहिम

बिहार के वैशाली में बीते दो दिनों में तीन नाबालिग बेटियों ने माता-पिता के कम उम्र में शादी के फैसले का न केवल विरोध किया, बल्कि शादी की सभी तैयारियों के बावजूद शादी करने से मना कर दिया.

बाल विवाह से बचाई गई बच्चियां परिवार के साथ बाल विवाह से बचाई गई बच्चियां परिवार के साथ
दिनेश अग्रहरि/सुजीत झा
  • नई दिल्‍ली,
  • 07 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 9:27 PM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बाल विवाह प्रथा के खिलाफ अभियान अब रंग लाने लगा है. मुख्यमंत्री ने दो अक्टूबर से बिहार में दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ सामाजिक आंदोलन की शुरूआत कर दी है. मुख्यमंत्री के इस अभियान का असर राज्य के बेटियों को हौसला दे रहा है. यही वजह है की बिहार के वैशाली में बीते दो दिनों में तीन नाबालिग बेटियों ने माता-पिता के कम उम्र में शादी के फैसले का न केवल विरोध किया, बल्कि शादी की सभी तैयारियों के बावजूद शादी करने से मना कर दिया.

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 गत 5 अक्टूबर को वैशाली जिले के जगन्नाथ बसंता की बेटी गुड़ि‍या ने दरवाजे पर आने वाली बारात को शादी वाले दिन इसलिए लौटा दिया, क्‍योंकि अभी उस की उम्र महज 13 साल की थी और वो आठवीं के आगे की पढ़ाई करना चाहती है. कम उम्र बेटी के इस फैसले के आगे मां-बाप को झुकना पड़ा और समाज के लोगों ने भी गुड़िया का साथ दिया.

गुड़ि‍या ने बताया कि अभी वह आठवी में पढ रही है, मां-पिताजी शादी कर रहे थे, हमने इंकार कर दिया कि अभी पढाई करनी है. बाल विवाह के लिए दहेज एक बहुत बड़ा कारण है. गुड़ि‍या के पिता अजय पासवान कहते हैं कि उनकी पांच बेटियां हैं, सबकी शादी करनी है. कम उम्र मे शादी करने से दहेज कम देना पड़ता है, लेकिन बेटी के इंकार करने पर वो भी मान गए. अजय पासवान ने कहा कि बेटी अभी पढना चाहती है.

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 वहीं, अगले ही दिन वैशाली जिले के देसरी में भी सीएम नीतीश कुमार की बाल विवाह रोकने की मुहिम एक बार फिर रंग लाई है. कुड़वा ग्राम में दो नाबालिक सगी बहनों के बाल विवाह के खिलाफ फैसले के आगे परिवार को झुकना पड़ा और लड़कियों के फैसले में साथ दिया स्थानीय समाज ने.

गांव के रामबाबू पासवान की 13 बर्षीय पुत्री गंगा कुमारी और 12 बर्षीय पुत्री सुनीता कुमारी की शादी करायी जा रही थी. दोनों की शादी को लेकर पूरी तैयारी कर ली गयी थीं. दोनों के लिए दूल्हे बारात लेकर आ चुके थे, घर मे शादी का माहौल परवान पर था. मंगल गीत गायी जा रही थी.

लेकिन इसी बीच गांव के कुछ बुद्धिजीवी लोगों को जब इसकी भनक लगी, तो गांव वाले इकठ्ठे हुए और प्रशासन को सूचना दी, समझाने-बुझाने का सिलसिला शुरू हुआ. मौके पर चाइल्ड लाइन के प्रतिनिधि भी पहुंचे.  प्रशासन की मदद से बच्चियों के अभिभावकों भी काफी मशक्कत के बाद शादी रोकने के लिए राजी करवा लिया गया.

उसके बाद लड़के वाले बारात लेकर लौट गए, लड़कियों का कहना है कि वो आगे अपनी पढ़ाई पूरा करना चाहती हैं और फिर बालिग होने पर शादी करेगी. इस तरह दोनों नाबालिक लड़कियों की शादी रुक जाने के बाद एक तरफ जहां दोनों को जिंदगियां उम्र से पहले उजड़ने से बच गयी. वहीं इस नाबालिक लड़कियों का शादी रोक दिया जाना इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है.

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