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अब नीतीश ने की प्रणब को सर्वसम्मति से दोबारा राष्ट्रपति बनाने की मांग

बीजेपी के मुकाबले राष्ट्रपति पद के लिए एक मज़बूत कैंडिडेट की विपक्ष की कोशिशों के बीच नीतीश कुमार ने प्रणब मुखर्जी को दोबारा सर्वसम्मत उम्मीदवार बनाये जाने की वकालत की है. नीतीश ने मोदी सरकार पर सियासी दबाव बढ़ाते हुए कहा कि, अगर बीजेपी नीत केंद्र की एनडीए सरकार तैयार हो तो प्रणब को ही दोबारा राष्ट्रपति की कुर्सी सौंपी जा सकती है

नीतीश कुमार नीतीश कुमार
कुमार विक्रांत
  • पटना,
  • 15 मई 2017,
  • अपडेटेड 7:36 PM IST

राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी से मुकाबले के लिए विपक्ष नए नए पैंतरे आजमा रहा है. अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी को ही दोबारा राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने की मांग कर दी. उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी दिल्ली में मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने वाली हैं. सूत्रों के मुताबिक, ममता और सोनिया की मुलाकात में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर चर्चा होगी.

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बीजेपी के मुकाबले राष्ट्रपति पद के लिए एक मज़बूत कैंडिडेट की विपक्ष की कोशिशों के बीच नीतीश कुमार ने प्रणब मुखर्जी को दोबारा सर्वसम्मत उम्मीदवार बनाये जाने की वकालत की है. नीतीश ने मोदी सरकार पर सियासी दबाव बढ़ाते हुए कहा कि अगर बीजेपी नीत केंद्र की एनडीए सरकार तैयार हो तो प्रणब को ही दोबारा राष्ट्रपति की कुर्सी सौंपी जा सकती है. गौरतलब है कि नीतीश इस मुद्दे पर सोनिया से मुलाकात कर चुके हैं.

सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तय कर चुके हैं कि वो खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे, सिर्फ सर्वसम्मति बनने की सूरत में ही वो दोबारा राष्ट्रपति पद संभाला सकते हैं. ऐसे में इस दांव के ज़रिए नीतीश मोदी सरकार को असमंजस में डालना चाहते हैं. ठीक वैसे ही जैसे यूपीए सरकार के दौरान कलाम साहब को सर्वसम्मति से दोबारा राष्ट्रपति बनाने की वकालत बीजेपी ने की थी, तब कांग्रेस ने उसको खारिज करते हुए प्रतिभा पाटिल को चुना था.

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वैसे राष्ट्रपति पद के अगले उम्मीदवार के लिए विपक्ष की तरफ से शरद पवार, मीरा कुमार और शरद यादव के नाम पर चर्चा चल रही है. लेकिन ये सभी सियासत से सीधे जुड़े हैं, ऐसे में तलाश ऐसे नाम की भी रही जो ना ही राजनीति से सीधे जुड़ा हो और न ही विवादित. ऐसे में सीताराम येचुरी का नाम सुझाया गया. महात्मा गांधी के वंशज और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर भी सहमति बनाने का प्रयास चल रहा है. इस मुद्दे पर कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा का कहना है कि सभी विपक्षी पार्टियों के बीच एक उम्मीदवार चुनने पर चर्चा जारी है, इसलिए फिलहाल वो किसी एक नाम पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकतीं.

वैसे टीआरएस और वाई एस आर कांग्रेस के खुले समर्थन के बाद मोदी सरकार को आस है कि वो आसानी से अपना उम्मीदवार जीत लेगी. आंकड़ों का ये गणित विपक्ष भी जानता है, लेकिन 2019 की लड़ाई से पहले मोदी सरकार के सामने महागठबंधन को परखने के लिए वो राष्ट्रपति चुनाव के मौके का इस्तेमाल करना चाहता है. इसलिए फिलहाल विपक्ष के बीच माथापच्ची जारी है. इस सिलसिले में ममता के बाद सोनिया जल्दी ही मायावती और स्टालिन से भी बात करने वाली हैं. इसके पहले राहुल खुद सीताराम येचुरी और डी राजा से मिल चुके हैं, अखिलेश से बात कर चुके हैं. वहीं सोनिया ने नीतीश के अलावा शरद यादव, शरद पवार, सीताराम येचुरी और डी राजा समेत कुछ छोटे दलों के नेताओं से मुलाकात की है.

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