
बिहार मद्यनिषेध कानून 2016 विधान परिषद से भी पास हो गया. विधानसभा इसे पहले ही पास कर चुका है. शराबबंदी के इस कानून को पास करने के समय दोनों सदनों से बीजेपी वाॉकआउट कर गई. बीजेपी का लगातार कहना है कि वो शराबबंदी के खिलाफ नहीं है लेकिन इस काले कानून के वो खिलाफ है.
नए कानून पर बीजेपी को आपत्ति
बीजेपी की सबसे ज्यादा आपत्ति कानून के इस प्रावधान को लेकर है जिसमें किसी के घर में शराब मिलने पर उस घर के 18 साल से ऊपर सभी बालिगों को उस परिस्थिति में जेल भेज दिया जाएगा जब कोई यह नहीं स्वीकार करेगा कि शराब कौन लेकर आया. उसी प्रावधान के तहत घर में शराब मिलने पर उस घर को सरकार जप्त कर लेगी. बीजेपी को लगता है कि इस कानून का एक-दूसरे को फंसाने में दुरुपयोग होगा. हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि पिछले चार महीनों से बिहार में पूर्ण शराबबंदी है फिर भी शराब पकड़ी जा रही है. ऐसे में पूर्ण शराबबंदी को सफल बनाने के लिए कड़े कानून की आवश्यकता है. बीजेपी को बताना चाहिए कि इसे रोकने के लिए और क्या तरीके हो सकते हैं.
गलत तरीके से फंसाने पर अधिकारियों पर कार्रवाई के प्रावधान
मद्यनिषेध कानून 2016 बिहार विधानमंडल से पास हो गया अब यह स्वीकृति के लिए राज्यपाल के पास जाएगा उसके बाद कैबिनेट से इस कानून का नोटिफिकेशन जारी होगा. बिहार में शराबबंदी के लिए यह अबतक का सबसे सख्त कानून है. जिसमें शराब पीने रखने और बनाने पर 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. साथ ही गलत तरीके से किसी को फंसाने पर पुलिस या उत्पाद विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी सख्त कानून बनाया गया जिसके अतर्गत उन्हें तीन साल की सजा और 1 लाख तक जुर्माना हो सकता है. पहले के कानून में केवल तीन महीने की सजा थी. विधानमंडल के प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यह कानून मादक पदार्थ निरोधक कानून से भी कड़ा कानून है. छोटी मात्रा में अगर चरस गांजा या अन्य मादक पदार्थ बरामद होता है तो केवल 6 महीने की सजा है जबकि शराब की खाली बोतल अगर घर मे बरामद हो गई तो 10 साल की सजा होगी.
दूसरे नशीले पदार्थों की तस्करी बढ़ी
सुशील मोदी ने कहा कि पिछले चार महीनों में बिहार में 1725 क्विंटल गांजा बरामद हुआ है जो पिछले तीन साल के जप्ती से ज्यादा है. 25 ग्राम चरस पहली बार बरामद हुआ है. उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि जो बिहार पहले मादक पदार्थ की तस्करी का रास्ता था. शराबबंदी के बाद लोग इसका उपयोग करने लगे हैं. जो कि काफी खतरनाक है शराब से ज्यादा नुकसान मादक पदार्थों के सेवन से हैं. अगर यही स्थिति रही तो उड़ता पंजाब की तरह कहीं उड़ता बिहार न बन जाए. उन्होंने कहा कि सरकार शराबबंदी के खिलाफ जागरुकता पैदा करने का कोई प्रयास नहीं कर रही है, केवल कठोर कानून का डंडा चलाकर शराबबंदी लागू करना चाह रही है.