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विपक्ष में रहते हुए भी नोटबंदी का पुरजोर समर्थन करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब इसके नतीजों पर सवाल उठाए हैं. शनिवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि बैंकों की भूमिका के कारण नोटबंदी का लाभ जितना लोगों को मिलना चाहिए था, उतना नहीं मिल पाया.
उन्होंने कहा कि देश की प्रगति में बैंकों की बड़ी भूमिका है. बैंकों को सिर्फ जमा, निकासी एवं ऋण प्रदान करना ही कार्य नहीं है, बल्कि एक-एक योजना में बैंकों की भूमिका बढ़ गई है.
गौरतलब है कि 2016 में जिस दौरान नोटबंदी का फैसला लिया गया था, तब नीतीश एनडीए का हिस्सा नहीं थे. इसके बावजूद उन्होंने खुले तौर पर इस फैसले की सराहना की थी और साथ दिया था. लेकिन जब आज नीतीश एनडीए का हिस्सा हैं तो इसके नतीजों पर ही सवाल उठा रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने पटना में राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति द्वारा आयोजित 64वीं त्रैमासिक समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कहा, "देश में विकास के लिए जो धनराशि सरकार मुहैया कराती है, उसके सही आवंटन के लिए बैकों को अपने तंत्र सुदृढ़ करने होंगे. बैंक 'ऑटोनोमस' है, ऊपर से नीचे तक इन चीजों को देखना होगा."
आपको बता दें कि नोटबंदी के दौरान जितने पुराने नोटों को वापस बैंकों में लिया गया था, अभी तक उनकी गिनती पूरी नहीं हो पाई है. इस पर विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा है और नोटबंदी को एक फेलियर बताता रहा है.
विश्वास पर खरा उतरेगी मोदी सरकार!
आपको बता दें कि इससे पहले नीतीश ने नरेंद्र मोदी सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री को बधाई दी थी. नीतीश ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देते हुए लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सरकार के गठन के चार साल पूरे होने पर बधाई. विश्वास है कि सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी."