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JDU के 5 मुस्लिम, 11 यादव विधायक बिगाड़ सकते हैं नीतीश का गेम! कल बहुमत परीक्षण

पार्टी विधायक बिजेंद्र यादव ने कहा कि बिहार की जनता ने नीतीश और लालू को एक साथ चुना था. अब नीतीश के पास सबसे बड़ी चुनौती बहुमत की ही है.

नीतीश कुमार के सामने बहुमत की चुनौती नीतीश कुमार के सामने बहुमत की चुनौती
मोहित ग्रोवर
  • पटना,
  • 27 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST

24 घंटे तक चले सियासी ड्रामे के बाद नीतीश कुमार ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. नीतीश के साथ ही सुशील मोदी ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अब नीतीश कुमार के सामने बस विधानसभा में बहुमत पेश करने की चुनौती है. 28 जुलाई को विधानसभा में बहुमत पेश करना है. सुशील मोदी ने बीजेपी और जेडीयू के पास 132 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है, लेकिन जेडीयू में लगातार बगावती सुर दिखाई दे रहे हैं.

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो जदयू के 71 में 18 विधायक राजद का समर्थन कर सकते हैं. इनमें से 5 विधायक मुस्लिम हैं और 11 विधायक यादव समुदाय से हैं. दो अन्य विधायक भी राजद के संपर्क में हैं. पार्टी विधायक बिजेंद्र यादव ने कहा कि बिहार की जनता ने नीतीश और लालू को एक साथ चुना था. अब नीतीश के पास सबसे बड़ी चुनौती बहुमत की ही है.

किसके पास कितनी सीटें -

कुल सीटें - 243

बहुमत के लिए - 122

जदयू - 71

भाजपा+ - 58

राजद - 80

कांग्रेस - 27

अन्य - 7

जेडीयू में बगावती सुर

नीतीश कुमार के इस फैसले का पूर्व जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव और राज्यसभा सांसद अली अनवर का विरोध किया है. शरद यादव ने कहा कि इस फैसले से गलत संदेश जाएगा, तो वहीं अली अनवर ने कहा कि मेरी अंतरात्मा इस फैसले के साथ नहीं है. अली अनवर बोले कि पिछले काफी दिनों से बीजेपी के साथ जाने के संकेत मिल रहे थे, 23 जुलाई को नेशनल काउंसिल की बैठक होनी थी लेकिन रद्द कर दी गई. अगर मैं बैठक में होता तो इस बात को जरूर सामने रखता.

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हालांकि जेडीयू नेता केसी त्यागी ने शरद यादव से फोन पर बात की है, उन्हें मनाने की कोशिश की है. ऐसे में अंकों का गणित महत्वूर्ण हो जाता है. जेडीयू विधायकों पर शरद यादव का अपना प्रभाव है. अली अनवर बिहार में पसमांदा की राजनीति करते रहे हैं. नीतीश कुमार ने उनको राज्यसभा भेजा, लेकिन अली अनवर की नाराजगी बताते है कि जेडीयू में सब ठीक नहीं है.

लालू दिखाएंगे ताकत?

दूसरी ओर जब से शरद यादव से जेडीयू के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी नीतीश ने अपने कंधे पर ली. शरद यादव को कोई पूछने वाला नहीं है. दूसरी ओर राजनीतिक वनवास की कगार खड़े लालू यादव भी अपने चुप नहीं बैठने वाले. राजद सुप्रीमो बहुमत परीक्षण रूपी आखिरी मौके पर अपनी पूरी ताकत से खेल सकते हैं. अब देखना ये है कि जेडीयू में टूट होती है कि नहीं, हालांकि इसकी संभावना बनती दिख रही है.

 

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