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तेजस्वी को कैबिनेट से हटा सकते हैं नीतीश, तीन विकल्पों पर कर रहे हैं विचार

बिहार के उप-मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज होने और उनके खिलाफ सीबीआई की छापेमारी के बाद उनके मंत्रिमंडल से इस्तीफे को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं.

तेजस्वी के खिलाफ सीबीआई की छापेमारी तेजस्वी के खिलाफ सीबीआई की छापेमारी
अमित कुमार दुबे/रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 07 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 2:47 PM IST

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार वालों पर सीबीआई के छापे के बाद अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ऊपर इस बात को लेकर दबाव बनने लगा है कि क्या वह उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अपने मंत्रिमंडल में बनाए रखेंगे या फिर बाहर निकालेंगे?

दरअसल, बेनामी संपत्ति मामले में लालू यादव , राबड़ी देवी के अलावा उनके बेटे एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है, जिसके बाद सीबीआई ने शनिवार को उनके सरकारी आवास 10 सर्कुलर रोड पर छापेमारी की.

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सूत्रों की माने तो तेजस्वी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने और सीबीआई छापों के बाद नीतीश अपने करीबियों से इस बात को लेकर विचार-विमर्श कर रहे हैं कि तेजस्वी को मंत्रिमंडल से किस तरह बाहर का रास्ता  दिखाया जाए. यहां पर यह जानना बेहद जरूरी है कि आरजेडी के 80 विधायकों के समर्थन से ही नीतीश कुमार बिहार में महागठबंधन की सरकार चला रहे हैं और ऐसे में तेजस्वी को मंत्रिमंडल से बाहर निकालने के लिए एक सम्मानजनक विकल्प तैयार करने की चर्चा है.

फिलहाल नीतीश के पास हैं ये तीन विकल्प

1. नीतीश खुद राज्यपाल, केसरीनाथ त्रिपाठी को इस बात को लेकर सिफारिश कर सकते हैं कि तेजस्वी को वह मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दें.

2. नीतीश खुद लालू से बात करें और तेजस्वी को इस बात के लिए मनाए कि वह खुद मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दें. यह विकल्प नीतीश को सबसे ज्यादा पसंद होगा, जिससे कि एक सम्मानजनक तरीके से तेजस्वी की मंत्रिमंडल से विदाई हो जाए और महागठबंधन की सरकार भी चलती रहे.

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3. नीतीश उस वक्त तेजस्वी यादव को मंत्रिमंडल से नहीं हटाए, जब तक इस मामले में तेजस्वी के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं हो जाती है. हालांकि इस विकल्प में समस्या यह है कि नीतीश कुमार की एक साफ-सुथरी छवि है और जब तक चार्जशीट दायर नहीं हो जाती है, तब तक विपक्ष उन पर लगातार हमलावर रहेगा कि कैसे उन्होंने तेजस्वी को मंत्रिमंडल में शामिल कर रखा है, जिसके खिलाफ बेनामी संपत्ति अर्जित करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है ?

हालांकि शुक्रवार को लालू के यहां पड़े छापों को लेकर जदयू ने चुप्पी साध रखी है. ऐसा पहली बार नहीं है कि लालू के यहां छापे पड़ने पर जदयू ने लालू से दूरी बनाई हो. इसी साल मई के महीने में लालू के दिल्ली और गुरूग्राम स्थित 22 ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी और उस वक्त भी जेडीयू लालू के समर्थन में नहीं आई थी.

एक साथ 12 जगहों पर CBI की छापेमारी

दरअसल शुक्रवार को सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव सहित उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज करने के बाद 12 स्थानों पर छापेमारी की.

सीबीआई के अपर निदेशक राकेश अस्थाना ने बताया कि सुबह सात बजे से पटना, रांची, भुवनेश्वर और गुरग्राम में 12 स्थानों पर छापेमारी की गई.

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राबड़ी से 8 घंटे तक पूछताछ

इस मामले को लेकर सीबीआई ने राबड़ी देवी से 8 घंटे तक पूछताछ की, जबकि तेजस्वी यादव से अभी भी पूछताछ जारी है. छापे के दौरान सीबीआई ने तेजस्वी यादव, सरला गुप्ता और पीके गोयल के निवास से लैपटॉप, आईपैड और मैल पर निविदा संबंधी दस्तावेजों को प्राप्त किया. विनय कोचर और विजय कोचर से खाता विवरण और ई-मेल आईडी भी ली गईं. उनसे जिन कंपनियों में उन्होंने काम किया, वहां का विवरण भी प्रस्तुत करने के लिए कहा. बैंक खाते/लॉकर का भी विवरण लिया गया.

तेजस्वी के इस्तीफे पर RJD का तर्क

वहीं आरजेडी का कहना है कि कैबिनेट मंत्री उमा भारती के खिलाफ बाबरी विध्वंस मामले में चार्जशीट दायर हो जाने के बाद भी वह मंत्रिमंडल में बनी हुई हैं, तो फिर तेजस्वी से इस्तीफा क्यों मांगा जा रहा है?  सीबीआई की छापेमारी पर प्रतिक्रिया देते हुए राजद के मनोज झा ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन करार दिया. उन्होंने कहा कि राजद इस तरह की हरकतों से नहीं झुकेगी. पार्टी इस मामले में कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ेगी.

गौरतलब है कि सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी यादव, बेटे समेत कई अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया है. इसके अलावा जांच एजेंसी ने दिल्ली, पटना, रांची, पुरी और गुरुग्राम समेत 12 ठिकानों पर छापेमारी की है. लालू, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेज प्रताप के अलावा दो कपंनियों के डायरेक्टरों के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है. लालू पर आरोप है कि रेलमंत्री रहने के दौरान उन्होंने रांची और पुरी समेत अन्य रेलवे होटलों के विकास और मरम्मत का ठेका निजी कंपनियों को दिया था.

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