
भारतीय जनता पार्टी का 'प्रसार तंत्र' अब तमिलनाडु की तरफ कूच कर गया है. तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके और बीजेपी के हाथ मिलाने की संभावनाएं जोर पकड़ने लगी हैं. इस बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ईपीएस पलानीसामी ने मंगलवार को पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है.
वहीं सूत्रों के मुताबिक दूसरी तरफ बीजेपी के वरिष्ठ नेता और टॉप केंद्रीय मंत्री इस सिलसिले में AIADMK नेताओं से बातचीत कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक एआईएडीएमके को एनडीए का हिस्सा बनाने पर विचार चल रहा है.
दरअसल, बीजेपी दक्षिण भारत की सत्ता से बाहर है. उत्तर और मध्य भारत के राज्यों में परचम लहराने के बाद अब बीजेपी का टारगेट साउथ इंडिया है. ऐसे में तमिलनाडु उसके लिए सबसे बेहतर और आसान लक्ष्य नजर आ रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके महासचिव जे. जयललिता की मौत के बाद तमिलनाडु में सत्ता संघर्ष चल रहा है. पार्टी दो धड़ों में बंट चुकी है. शशिकला के जेल जाने के बाद पलानीसामी को सीएम बनाया गया है. जबकि पन्नीरसेल्वम पहले ही बगावत के सुर आम कर चुके हैं.
ऐसे में बीजेपी AIADMK के जरिए दक्षिण में दखल देने की कोशिश कर रही है. बताया जा रहा है कि मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार भी इसीलिए नहीं किया गया है. सूत्रों के मुताबिक अगस्त में मोदी कैबिनेट का विस्तार संभव है, जिसमें एआईएडीएमके को शामिल किया जा सकता है.
एआईएडीएमके को साथ लाने की वजह सदन में उसकी ताकत भी है. AIADMK पहले भी 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार का हिस्सा रह चुकी है. दूसरी तरफ राज्य में उसकी धुर प्रतिद्वंदी पार्टी DMK कांग्रेस का समर्थन कर चुकी है.