
30 मई को नरेंद्र मोदी ने पीएम पद की शपथ ली थी. इस दिन से ही बिहार की सियासत हिचकोले खाने लगी. बदलते घटनाक्रम अब संदेश दे रहे हैं कि बिहार में राजनीतिक उठापटक अभी जारी रहने वाला है. बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने कहा है कि अगर नीतीश कुमार महागठबंधन में आने की सोचते हैं तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा. राबड़ी का ये संदेश उस नीतीश कुमार के लिए है जिनकी पार्टी के नेता 30 मई को नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने की तैयारी कर चुके थे, लेकिन मंत्रिमंडल में मात्र एक सीट मिलने पर नीतीश कुमार ने अमित शाह के इस ऑफर को ठुकरा और चुपचाप पटना लौट गए. इसके बाद जब 2 जून को नीतीश ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया तो बीजेपी इससे बाहर रही.
इस राजनीतिक परिदृश्य में आरजेडी नेता राबड़ी द्वारा ये कहना कि अगर जेडीयू महागठबंधन में आने की पहल करता है तो महागठबंधन इस पर विचार करेगा. बिहार में आरजेडी जेडीयू का सबसे बड़ा घटक दल है, लिहाजा राबड़ी का ये बयान अहम है. बता दें कि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी द्वारा सोमवार को पटना में दी गई इफ्तार पार्टी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी शामिल हुए थे. हालांकि दोनों के बीच मुलाकात नहीं हो सकी थी.
राबड़ी देवी द्वारा नीतीश कुमार को महागठबंधन में शामिल होने का न्यौता देने से हमें बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राबड़ी के पुत्र तेजस्वी यादव का वो बयान याद आता है जब लोकसभा चुनाव से पहले तेजस्वी कहा करते थे कि नीतीश के महागठबंधन में आने के सभी रास्ते बंद हो गए हैं. तो क्या तेजस्वी यादव और आरजेडी 2017 के नीतीश कुमार के अपमान को भूल गई है, जब महज 24 घंटे के अंदर नीतीश कुमार लालू यादव को ठेंगा दिखाकर बीजेपी के साथ मिलकर एक बार फिर से सीएम बन गए थे? इस सवाल का जवाब 2019 के जनादेश में छुपा हुआ है.
बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले आरजेडी ने दावा किया था कि नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होने के मात्र 6 महीने बाद ही दोबारा महागठबंधन में वापस आना चाहते थे, लेकिन इसके लिए लालू यादव और तेजस्वी यादव तैयार नहीं हुए. जून 2018 में तेजस्वी ने कहा था कि नीतीश कुमार की विश्वसनीयता नहीं बची है. अगर मान भी लिया जाए कि हम फिर से नीतीश को गठबंधन में ले लेते हैं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वे कुछ समय बाद हमें धोखा नहीं देंगे. उनके लिए दरवाजे बंद हो चुके हैं." तेजस्वी यादव नीतीश को कई पलटू राम और पलटू चाचा कह चुके हैं.
आखिर आरजेडी नीतीश को एक बार फिर से महागठबंधन में लेने को तैयार क्यों हैं. दरअसल आरजेडी नरेंद्र मोदी सरकार से नीतीश के मन में पैदा हुए असंतोष को भुनाना चाहती है, आरजेडी को लगता है कि नीतीश की नाव पर सवार होकर पार्टी को एक बार फिर बिहार की सत्ता मिल सकती है. इधर नीतीश कुमार भी जानते हैं कि वो अगले पांच साल तक केंद्र सरकार के साथ न कोई सौदा करने की स्थिति में हैं और न ही दबाव डलवाकर अपनी मांगे मनवा सकते हैं. लिहाजा अगर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वे एक बार फिर से आरजेडी के साथ आ जाएं तो अगले पांच साल तक वे एक बार फिर से सीएम बन सकते हैं. नीतीश कुमार जानते हैं कि अमित शाह के मुकाबले उनका आरजेडी के साथ रहना, उनके लिए ज्यादा कारगर राजनीतिक समीकरण रहेगा.
आरजेडी के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी इससे पहले बीजेपी को पछाड़ने के लिए सभी दलों को एक साथ आने की अपील की थी. रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश कुमार का नाम लिए कहा था, "नीति यही कहती है कि भाजपा को पछाड़ने के लिए सभी को एक साथ आना चाहिए, इसमें कहीं छंटाऊं और चुनने-बिनने की बात नहीं होनी चाहिए."
रघुवंश प्रसाद को जब तेजस्वी का वो बयान याद दिलाया गया जिसमें उन्होंने कहा कि 'नीतीश के लिए महागठबंधन में सभी रास्ते बंद हो चुके हैं' तो रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि "कहीं कोई लिखकर दिया है, यह समय की बात है." हालांकि नीतीश को न्यौते पर तेजस्वी यादव ने अबतक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.