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पटना यूनिवर्सिटी की हालत किसी से छिपी नहीं है, मुख्यमंत्री-मंत्री की सिफारिश नहीं चलेगी: नीतीश

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 10 विश्वविद्यालय के चयन की बात कही है लेकिन पटना विश्वविद्यालय की स्थिति किसी से छिपी नहीं है.

नीतीश कुमार (फाइल) नीतीश कुमार (फाइल)
सुजीत झा/प्रज्ञा बाजपेयी
  • पटना,
  • 16 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 5:23 PM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा है कि पटना विश्वविद्यालय को सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी का दर्ज की मांग नई नहीं है. उन्होंने कहा कि लोगों की ख्वाहिश और इच्छा है कि पटना विश्वविद्यालय को सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिले.

बिहार सीएम ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी की मांग कोई नई नहीं है. यह मांग पहले से हो रही है. यह मामला संसद में भी उठा था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 10 विश्वविद्यालय के चयन की बात कही है लेकिन पटना विश्वविद्यालय की स्थिति किसी से छिपी नहीं है.

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मुख्यमंत्री-मंत्री की सिफारिश नहीं चलने वाली

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पटना विश्वविद्यालय को सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा देने की मांग को ये कहते हुए ठुकरा दिया कि सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी अब गुजरे जमाने की बात है. ऐसे में उन्हेंने देश के 10 वर्ड क्लास यूनिवर्सिटी में पटना विश्वविद्यालय को कंपीट करने की चुनौती दी. शनिवार को यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में उन्होंने कहा कि मैं इसके लिए पटना विश्वविद्यालय को आमंत्रित करता हूं. इस 10 यूनिवर्सिटी का चुनाव उनके मेरिट पर होना है. इसके लिए किसी मुख्यमंत्री-मंत्री की सिफारिश भी नहीं चलेगी. लेकिन पटना विश्वविद्यालय अपने अस्तित्व की तलाश में है अभी वो इस कड़े मुकाबले को कैसे पार कर सकता है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पटना विश्वविद्यालय की स्थिति किसी से छिपी नहीं है.

शिक्षा की बदहाली के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार नहीं

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मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में उच्च शिक्षा के लिए जो बदहाली है उसके लिए सीधे राज्य सरकार जिम्मेदार नहीं है. राज्य सरकार अपना अनुदान करीब 4000 करोड़ रुपये विश्वविद्यालयों को देता है लेकिन विश्वविद्यालयों के चांसलर तो राज्यपाल होते हैं और उन्हीं के जरिए ही बिहार में विश्वविद्यालय चलते हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिहार के राज्यपाल रहते हुए उच्च शिक्षा में काफी काम किया. वो लगातार बैठकें करते थे, मैं भी जाता था.

उन्होंने माना कि विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी है. उन्होंने आगे कहा कि इसको दुर करने के लिए यूनिवर्सिटी टीचर कमीशन बनाया है और जल्दी ही पर्याप्त संख्या में शिक्षक बहाल होंगे. शिक्षकों की संख्या की कमी केवल बिहार के विश्वविद्यालय ही नहीं बल्कि पूरे देश के विश्वविद्यालय जूझ रहे हैं. छात्र अब शिक्षण क्षेत्र में नहीं जा रहा है.

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