
बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. माना जा रहा है कि ये मुलाकात राष्ट्रपति चुनावों से पहले विपक्षी खेमे को एकजुट करने की नीतीश की कोशिशों का हिस्सा है. सूत्रों के मुताबिक नीतीश ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का साझा उम्मीदवार उतारने की संभावनाओं पर सोनिया से बात की और 2019 के चुनाव को लेकर बीजेपी के एजेंडे में फंसने से बचने के लिए आगाह किया.
2019 से पहले महागठबंधन का ड्राई रन?
इस मुलाकात के बाद अटकलें लगने लगी हैं कि क्या विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारेगा? और ये भी कि क्या ये प्रयास विपक्ष की ओर से 2019 चुनाव के लिए महागठबंधन का ड्राई रन होगा? हालांकि, इसमें चुनौतियां भी कई हैं.
अखिलेश-माया ने भी कही थी महागठबंधन की बात
यूपी की हार के बाद अखिलेश यादव और मायावती ने भी साथ आने और मोदी के खिलाफ महागठबंधन बनाने की बात कही थी. नीतीश कुमार बिहार की तर्ज पर महागठबंधन बनाने की बात कहते रहे हैं. लेकिन यहां सवाल ये भी उठता है कि आखिर महागठबंधन का अगुवा कौन होगा? कांग्रेस क्या राहुल गांधी की जगह नीतीश को आगे करेगी. या फिर जेडीयू कांग्रेस की अगुवाई में महागठबंधन में शामिल होगी.
राष्ट्रपति चुनाव का क्या है समीकरण?
लोकसभा और राज्यसभा के 771 सांसदों के कुल 5 लाख 45 हजार 868 वोट हैं. जबकि पूरे देश में 4120 विधायकों के 5 लाख 47 हजार 786 वोट. इस तरह कुल वोट 10 लाख 93 हजार 654 हैं और जीत के लिए आधे से एक ज्यादा यानी 5 लाख 46 हजार 828 वोट चाहिए.
NDA की क्या है स्थिति?
लोकसभा में अभी एनडीए के पास 339 सांसद हैं और राज्यसभा में 74 सांसद हैं. चूंकि मनोनीत सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं देते इसलिए लोकसभा के 337 सांसद और राज्यसभा के 70 सांसद वोट देंगे. एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है इस हिसाब से लोकसभा में एनडीए के 2 लाख 38 हजार 596 वोट हैं और राज्यसभा में एनडीए के 49 हजार 560 वोट हैं. यानी एनडीए के सांसदों के 2 लाख 88 हजार 156 वोट हुए. इसके अलावा विधानसभा से वोट पड़ेंगे. जाहिर है मोदी सरकार को इतना समर्थन जुटाना होगा. विपक्ष यही चोट करना चाहता है.
महागठबंधन की बात करना तो ठीक है लेकिन इसकी राह में ये 5 बड़े रोड़े भी हैं-
1. महागठबंधन का नेता कौन? नीतीश-राहुल-मुलायम-शरद पवार-ममता बनर्जी-केजरीवाल समेत कई दावेदार हैं.
2. क्षत्रपों का सीमित जनाधार. नीतीश-ममता समेत कोई भी ऐसा नेता नहीं है जिसका एक राज्य के बाहर जनाधार हो. केवल कांग्रेस की उपस्थिति कई राज्यों में हैं लेकिन राहुल गांधी की अगुवाई में कितने दल राजी होंगे ये भी सवाल होगा.
3. राज्यों में आपस में भिड़ीं पार्टियों का क्या होगा? बंगाल में कांग्रेस-तृणमूल कांग्रेस-लेफ्ट किस हद तक साथ आएंगे. साउथ में क्या डीएमके-एआईएडीएमके साथ आएंगे? यूपी में सपा-बसपा-कांग्रेस-आरएलडी क्या साथ आ सकेंगे.
4. मोदी विरोध के अलावा फैक्टर क्या होंगे? महागठबंधन का कॉन्सेप्ट तो ठीक है लेकिन क्या ये महागठजोड़ सिर्फ मोदी फैक्टर के खिलाफ जनता के बीच जाएगा.
5. जमीनी स्तर पर गठबंधन का कैसे तय होगा समीकरण? महागठबंधन के नाम पर अगर ये दो दर्जन से ज्यादा पार्टियां एक हो भी जाती हैं तो इनके कार्यकर्ता कितना साथ आएंगे ये फैक्टर भी अहम होगा.