
नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) विधेयक के खिलाफ मेडिकल छात्रों को विरोध प्रदर्शन जारी है. बुधवार को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया. इस विधेयक के खिलाफ दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर गुरुवार को हड़ताल पर रहेंगे.
आरडीए के एक बयान में कहा गया है कि अगर बिल में संशोधन नहीं किया गया तो इससे न केवल मेडिकल शिक्षा के मानकों में गिरावट आएगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में भी गिरावट आएगी. ओपीडी सहित गैर-जरूरी सेवाएं बुधवार को सुबह छह बजे से गुरुवार की सुबह 6 बजे तक बंद रखने का ऐलान किया गया है. जबकि आपातकालीन, दुर्घटना, आईसीयू और संबंधित सेवाएं सामान्य रूप से काम करेंगी.
आईएमए के महासचिव आर. वी. असोकन ने कहा, "एनएमसी बिल की धारा-32 में नए मेडिकल प्रैक्टिसनर के लिए 3.5 लाख अयोग्य और गैर चिकित्सकों को लाइसेंस देने का प्रावधान है. सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता शब्द को अस्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जो आधुनिक चिकित्सा से जुड़े किसी व्यक्ति को एनएमसी में पंजीकृत होने और आधुनिक मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की अनुमति देता है."
उन्होंने कहा, "इसका मतलब यह होगा कि सभी तरह के पैरामेडिक्स जिसमें फार्मासिस्ट, नर्स, फिजियोथेरेपिस्ट, ऑप्टोमेट्रिस्ट आदि आधुनिक चिकित्सा पद्धति का उपयोग करने के साथ ही स्वतंत्र रूप से दवाइयां लिखने के लिए वैध होंगे."
आईएमए के बैनर तले 5000 से भी ज्यादा डॉक्टर, मेडिकल विद्यार्थियों और देशभर के हेल्थकेयर विशेषज्ञों ने सोमवार को एनएमसी विधेयक 2019 के खिलाफ प्रदर्शन किया. पूरे मेडिकल महकमे ने एम्स के बाहर इस विधेयक का जमकर विरोध किया. यह विरोध प्रदर्शन एम्स से लेकर निर्माण भवन तक किया गया.
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. सांतनु सेन ने बताया, "मेडिकल शिक्षा के लिए लाया गया एनएमसी विधेयक अबतक का सबसे खराब विधेयक है और दुर्भाग्य से डॉक्टर स्वास्थ्य मंत्री अपनी शिक्षा प्रणाली को खुद ही नष्ट कर देना चाहते हैं. हम इस अत्याचार को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे. यह विधेयक पूरी तरह से जनता विरोधी, गरीब विरोधी, छात्र विरोधी, लोकतंत्र विरोधी और अत्यंत कठोर है. शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा होने के नाते मेडिकल के विद्यार्थियों ने भी इसके विरोध में हाथ मिला लिया है, ताकि इस विधेयक को खत्म कर शिक्षा के क्षेत्र को बचाया जा सके."