
ब्रिटेन ने जलियांवाला बाग जनसंहार के लिए माफी नहीं मांगी है. बस उसने फिर से अफसोस जताया है. ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने सिर्फ अफसोस जाहिर किया है. इससे पहले भी प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने ब्रिटिश संसद में 1919 में हुए जलियांवाला बाग नरसंहार पर दुख जताते हुए इसे ब्रिटेन-भारत इतिहास का शर्मनाक धब्बा बताया था. ब्रिटेन संसद में बोलते हुए पीएम टेरेसा मे ने कहा था कि हमें अफसोस है जो कुछ हुआ और जिसकी वजह से लोगों को त्रासदी का सामना करना पड़ा.
भारत जलियांवाला बाग हत्याकांड की 100वीं बरसी मना रहा है. भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान ब्रिटिश सैनिकों ने रॉलेट एक्ट का विरोध कर रहे निहत्थे लोगों पर 13 अप्रैल 1919 को अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं, जिसमें सैंकड़ों लोग मारे गए थे. ब्रिटेन मानता है कि इस हत्याकांड में 400 लोग मारे गए थे वहीं भारत का मानना है कि इस हत्याकांड में 1,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. वैसाखी के दिन जनरल डायर के आदेश पर यह गोलियां चलाई गई थीं.
लंदन में डाउनिंग स्ट्रीट पर बुधवार शाम को बैसाखी समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मे ने पिछले महीने हाउस ऑफ कॉमन्स में दिए गए अपने बयान को दोहराया जिसमें उन्होंने इसे ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर 'शर्मनाक धब्बा' करार दिया था.
भारतीय प्रवासियों की अच्छी खासी मौजूदगी के बीच उन्होंने कहा, 'जो हुआ हमें उसपर गहरा खेद है और इतने सारे लोगों को दर्द से गुजरना पड़ा.' उन्होंने कहा, 'उस दिन जो हुआ था उसका विवरण सुनने के बाद कोई भी ऐसा नहीं होगा जो अंदर तक हिल न जाए. कोई भी सच में ये नहीं सोच सकता कि 100 साल पहले उस दिन इस बाग में आने वालों पर क्या गुजरी होगी.'
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री ने कहा, 'उस दिन जो कुछ हुआ उसके बारे में जो भी सुनेगा, वह गहरे दुख में डूब जाएगा. 100 साल पहले एक बगीचे में जुटे लोगों के साथ हुआ उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है.' थेरेसा मे ने कहा, 'पूर्व प्रधानमंत्री एचएच सक्विथ ने एक बार कहा था कि हमारे पूरे इतिहास की यह सबसे वीभत्स घटना है.'
गौरतलब है कि ब्रिटिश संसद और सिख समुदाय जलियांवाला बाग जनसंहार कांड के लिए इंग्लैंड से औपचारिक तौर पर माफी मांगने की लंबे समय से मांग करता रहा है. इन समूहों ने इस घटना के 100 साल पूरे होने के अवसर पर फिर से ब्रिटेन से माफी मांगने की मांग की गई है. विपक्ष की लेबर पार्टी के नेता जर्मी कॉर्बन ने भी मांग की थी कि जिन्होंने इस नरसंहार में अपनी जान गंवाई उनसे माफी मांगी जानी चाहिए.