
बॉक्स ऑफिस पर संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत और पैडमैन के बीच अब भिड़ंत नहीं होगी. दरअसल, दोनों फिल्मों के निर्माताओं ने आपसी सहमति से ऐसी भिड़ंत से बचने का रास्ता निकाल लिया है. पैडमैन के निर्माता फरवरी में अपनी फिल्म रिलीज करने को तैयार हैं. मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संजय लीला भंसाली की मौजूदगी में खुद अक्षय कुमार ने इसकी जानकारी दी. पहले चर्चा थी कि अक्षय उसी डेट पर फिल्म रिलीज करने को अड़े हैं. आइए जानते हैं किन वजहों से 25 जनवरी को रिलीज होने वाली पैडमैन की डेट आगे बढ़ गई है....
#1) स्क्रीन्स का बंटवारा
दरअसल, पद्मावत और अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन की भिड़ंत से दोनों फिल्मों को नुकसान पहुंच रहा था. भारी भरकम बजट (करीब 180 करोड़) में बनी पद्मावत एक भव्य फिल्म है. रिलीज की घोषणा के बाद थियेटर्स में स्क्रीन बंटवारे में पद्मावत के आगे रहने की उम्मीद जताई जा रही थी. फिल्म का विषय, स्टारकास्ट और उसको लेकर बने माहौल में ऐसा सोचना स्वाभाविक भी है. ट्रेड एक्सपर्ट्स की भी राय में दोनों फ़िल्में रिलीज होतीं तो थियेटर्स के 65 प्रतिशत स्क्रीन्स पद्मावत को ही मिलते.
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#2) फिल्म की स्टारकास्ट और भंसाली सिग्नेचर
पद्मावत की स्टारकास्ट भी एक बड़ी वजह है. पैडमैन की तुलना में यह थोड़ा आगे है. फिल्म में दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह जैसे सितारे हैं. शाहिद कपूर को छोड़ दें तो तीनों का बॉक्स ऑफिस पर ट्रैक रिकॉर्ड बहुत बेहतरीन रहा हैं. इनकी जोड़ी रासलीला और बाजीराव-मस्तानी के साथ बॉक्स ऑफिस पर जादू दिखा चुकी है. दूसरी ओर भंसाली सिग्नेचर की फिल्मों ने दर्शकों पर कमाल का असर डाला है.
हालांकि बॉक्स ऑफिस पर पिछले दो साल के दौरान अक्षय कुमार का भी ट्रैक रिकॉर्ड बहुत बेहतरीन है. लेकिन पैडमैन में अक्षय के अलावा दूसरे सितारों की वैसी फैन अपील नहीं है जैसी पद्मावत के सितारों की है.
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#3) पद्मावत एक फैमिली फिल्म है. दरअसल एक्शन, इमोशन, ड्रामा और ऐतिहासिक फिक्शन से भरपूर इस फिल्म में मनोरंजन के कई सारे मसाले मौजोद है. इस बार चार दिन का लंबा-चौड़ा वीकेंड है. दर्शकों में पद्मावत देखना ज्यादा पसंद करते. दरअसल, पैडमैन की कहानी एक शख्स के सैनिटरी नैपकीन बनाने की धुन पर आधारित है. पैडमैन की कहानी भले ही एक सोशल सब्जेक्ट पर आधारित है, लेकिन ज्यादातर मध्य वर्ग के भारतीय समाज के लिए अभी भी परिवार के साथ सैनिटरी पैड पर बहस करना या फिल्म देखना बड़ी बात है. ट्रेड एक्सपर्ट की राय में भी इस एक वजह से पद्मावत के साथ क्लेश होने का पैडमैन को नुकसान पहुंचता.