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गंगा किनारे नहीं, बीचोंबीच करना होगा अस्थि विसर्जन

गंगा नदी में प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार कई कदम उठाने जा रही है. इसमें एक है इस पवित्र नदी के तट पर अस्थियों के विसर्जन की मनाही. केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने यह बात कही.

Uma Bharti Uma Bharti
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2014,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST

गंगा नदी में प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार कई कदम उठाने जा रही है. इसमें एक है इस पवित्र नदी के तट पर अस्थियों के विसर्जन की मनाही. केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने यह बात कही.

उन्होंने कहा कि गंगा में अस्थि विसर्जन पर कोई रोक नहीं है लेकिन अब इसे तट की बजाय बीच नदी में करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि हम तट पर विसर्जन की अनुमति नहीं देंगे.

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उमा भारती ने मंगलवार को राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन अथॉरिटी की पहली बैठक में भाग लिया. इसका हाल ही में पुनर्गठन हुआ है. उन्होंने कहा कि साधुओं से इस बारे में उनकी बात हुई है और उन्होंने कहा है कि हमारा जो फैसला होगा वह उन्हें मंजूर होगा.

उन्होंने अंतिम संस्कार करने के बारे में कहा कि अगर किसी का यह लकड़ी से होना है, तो ऐसे उपाय करने होंगे कि इसमें कम से कम लकड़ी लगे. अगर साधु कहते हैं कि बिजली के शवदाह गृह सही हैं तो हमें दोनों तरह के शवदाह गृह बनाने होंगे. इस बात का ध्यान रखना होगा कि आधे जले हुए शव गंगा में फेंके नहीं जाएं.

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पूजा सामग्री नदी में बहाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. उन्हें नदी से हटाने के लिए एक जाल लगाया जाएगा. इस काम में एनजीओ और पालिका के लोग लगाए जाएंगे.

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उन्होंने कहा कि यह सब एक तकनीकी समिति की समीक्षा के बाद होगा. इस समिति में आईआईटी, नेशनल एन्वॉयरमेंटल इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट और सीपीसीबी के सदस्य होंगे. इसके अलावा साधुओं से भी सलाह मशविरा किया जाएगा.

- इनपुट भाषा से

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