
अक्षय तृतीया पर्व को कई नामों से जाना जाता है. इसे अखातीज और वैशाख तीज भी कहा जाता है. इस पर्व को भारतवर्ष के खास त्योहारों की श्रेणी में रखा जाता है. इस दिन स्नान, दान, जप, होम आदि अपने सामर्थ्य के अनुसार जितना भी किया जाए, अक्षय रूप में प्राप्त होता है.
अक्षय तृतीया शादी-ब्याह के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है लेकिन इस बार इस तिथि पर शादी का कोई शुभ मुहूर्त नहीं है. ज्योतिषियों के मुताबिक ऐसा 100 सालों के बाद हो रहा है. इस स्थति की वजह से मई और जून महीने में शादी के ढोल नहीं बजेंगे.
क्या है अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं. इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है. सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है. भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हृयग्रीव और परशुराम का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था. बद्रीनाथ की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं. प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं.
अक्षय तृतीया का महत्व
वैदिक कैलैंडर के चार सबसे ज्यादा शुभ दिनों में से यह एक मानी गई है. 'अक्षय' से तात्पर्य है 'जिसका कभी क्षय न हो' अर्थात जो कभी नष्ट नहीं होता. अक्षय तृतीया (आखातीज) को अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक कहा जाता है जो कभी क्षय नहीं होती, उसे अक्षय कहते हैं. इस दिन को शादी के लिए सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है और हिंदू धर्म में इस दिन सबसे ज्यादा शादियां आयोजित होती है. कहा जाता है कि इस दिन विवाह के लिए मुहूर्त देखने की भी जरूरत नहीं होती.
100 साल बाद बन रहा है ऐसा योग
2 मई को पड़ने वाले अक्षय तृतीया के अक्षय मुहूर्त विवाह के दो सबसे अहम ग्रहों के अस्त होने से ग्रहण लगेगा. ज्योतिषियों के मुताबिक, देव गुरु बृहस्पति और शुक्र के अस्त होने की वजह से यह स्थिति आई है. लिहाजा योग इस प्रकार का बन रहा है कि अक्षय तृतीया के दिन शादी का मुहूर्त ही नहीं है.
अक्षय तृतीता पर शादी का मुहूर्त नहीं मिलना शताब्दी की पहली घटना बताई जा रही है. ऐसा 100 साल के बाद हुआ है कि इस साल 29 अप्रैल को मिलने वाले अंतिम विवाह मुहूर्त के बाद विवाद का कोई भी मुहूर्त नहीं है. मतलब यह हुआ कि 30 अप्रैल से गुरु और शुक्र के अस्त होने से विवाह कार्य बाधित होंगे क्योंकि इसके लिए कोई शुभ लग्न नहीं है.
जुलाई महीने में लगेगा लग्न मुहूर्त
शुक्र का तारा 30 अप्रैल से पश्चिम दिशा में अस्त हो रहा है जो फिर जुलाई महीने में 6 जुलाई को पूर्व में उदय होगा. इसके बाद ही शादी का योग बनेगा. जुलाई महीने में 6 से 14 तारीख तक शादियों का शुभ मुहूर्त है.
15 जुलाई आषाढ़ शुक्ल एकादशी से हरिशयनी की शुरुआत हो रही है. पौराणिक परंपरा के मुताबिक, इस दिन के बाद देव सो जाएंगे. फिर चातुर्मास शुरू होगा. इसलिए 15 जुलाई से 10 नवंबर तक फिर शादियों के मुहूर्त नहीं रहेंगे.