
केंद्र सरकार ने शनिवार को दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि शहीद का दर्जा सशस्त्र बलों के उन कर्मियों को नहीं दिया जाता है जो कर्तव्य के दौरान अपनी जान कुर्बान कर देते हैं, इसलिए यह दर्जा अर्धसैनिक बलों को नही दिया जा सकता. सरकार ने इस मामले में याचिका को गलत धारणा पर आधारित बताया.
अनुरोध गलत धारणा पर आधारित: केंद्र
न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की पीठ को सूचित किया गया, ‘सेना, नौसेना और वायुसेना की तर्ज पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) को ‘शहीद’ का दर्जा देने का अनुरोध गलत धारणा पर आधारित है क्योंकि यह दर्जा वास्तव में सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों को दिया ही नहीं जा रहा है.’ अपने एक हलफनामे में रक्षा मंत्रालय एवं अन्य मंत्रालयों ने कहा कि शहीद शब्द का तीनों सेवाओं में इस्तेमाल नहीं किया जाता है और न ही ऐसा कोई आदेश या अधिसूचना रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गई कि कर्तव्य के दौरान जो मारे गए उन्हें शहीद कहा जाए. इसी तरह, गृह मंत्रालय द्वारा भी सीएपीएफ और असम राइफल्स के कर्मियों के लिए भी ऐसी अधिसूचना नहीं जारी की गई.
'सेना, नौसेना और वायुसेना में नहीं होता शहीद शब्द का इस्तेमाल'
सरकार का जवाब वकील अभिषेक चौधरी एवं हर्ष आहूजा की जनहित याचिका के जवाब में आया है. याचिकाकर्ताओं ने सेना की भांति अर्धसैनिक बलों एवं पुलिसबलों में भी मारे गए कर्मियों के लिए शहीद का दर्जा देने की मांग की है. सरकार ने कहा, ‘तीनों सेवाओं में शहीद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.’
याचिका में की गई थीं ये मांगें
गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग एवं मंत्रालय ने संयुक्त हलफनामे में कहा है, ‘अतएव, याचिकाकर्ता की प्रार्थना कि सेना, नौसेना और वायुसेना की तर्ज पर अर्धसैनिक सशस्त्र बल के मारे गए कर्मियों को भी शहीद का दर्ज दिया जाए, गलत धारणा पर आधारित है और निराधार है. इस बात से इनकार किया जाता है कि सीएपीएफ के कर्मी को उस सम्मान से वंचित किया जाता है जिसका वे हकदार हैं.’ चौधरी ने अपनी याचिका में सरकार को अर्धसैनिक सशस्त्र बलों के कर्मियों को सेना, नौसेना और वायुसेना की तर्ज पर समान वित्तीय क्षतिपूर्ति एवं लाभ देने का भी निर्देश देने की मांग की है.
इस पर सरकार ने कहा, ‘परिवार और करीबी रिश्तेदारों को वे ही लाभ दिए जाते हैं जो रक्षाकर्मियों को मयस्सर हैं यानी लिबरेलाइज्ड पेंशन अवॉर्ड्स के तहत पूर्ण पारिवारिक पेंशन यानी अंतिम तनख्वाह और उन्हीं दिशानिर्देशों के तहत एकमुश्त क्षतिपूर्ति जो रक्षाकर्मियों के लिए मान्य है.’ सरकार ने याचिकाकर्ता के इस आरोप का भी खंडन किया कि भारत तिब्बत सीमा पुलिस के उन कर्मियों को शहीद का दर्जा नहीं दिया जा रहा है जो उत्तराखंड में गौरीखंड के करीब हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर वायसेना के पांच कर्मियों के साथ मारे गए. वायुसेना के इन कर्मियों को यह सम्मान प्राप्त हुआ.
इनपुट: भाषा