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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गुरुवार को दिल्ली में संसद भवन के करीब स्थित जंतर-मंतर क्षेत्र में होने वाले सभी विरोध प्रदर्शनों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है.
जतंर-मंतर क्षेत्र के पास रहने वाले कुछ लोगों की तरफ से दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने यह आदेश दिया है. अपने आदेश में एनजीटी ने कहा है कि रोज होने वाले प्रदर्शनों की वजह से जंतर-मंतर के आसपास रह रहे लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. अपने आदेश में एनजीटी ने दिल्ली में स्थित रामलीला मैदान को प्रदर्शनों का नया ठिकाना बताया है.
पिछले एक दशक से दिल्ली का जंतर-मंतर विरोध करने, अपनी मांग के लिए धरना देने, और सत्याग्रह करने का ठिकाना बना हुआ है.
अपनी मांगों को लेकर देशभर से प्रदर्शनकारी यहां आते रहे हैं. संसद भवन यहां से करीब है लिहाजा प्रतिकात्मक तौर से प्रदर्शनकारी जंतर-मंतर से संसद के घेराव का कॉल भी देते रहे हैं. लेकिन एनजीटी के हालिया फैसले के बाद लग रहा है कि अब ये सब मुमकीन नहीं होगा.
जंतर-मंतर से पहले दिल्ली का वोट क्लब प्रदर्शनकारियों का ठिकाना था. वोट क्लब पर 1980 से पहले एक से एक ऐतिहासिक प्रदर्शन हुए लेकिन 1980 में तात्कालिक किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत ने यहां एक प्रदर्शन बुलाई जिसमें करीब 10हजार लोग शामिल हुए और उसी वक्त ने कोर्ट ने फैसला सुनाया कि दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन वोट क्लब के बदले जंतर-मंतर पर होंगे.
कोर्ट के आदेश के बाद जनता अपने प्रदर्शनों, नारों और मुद्दों के साथ वोट क्लब से जंतर-मंतर पर विस्थापित हो गई.
एनजीटी के फैसले से लग रहा है कि देश की राजधानी में होने वाले प्रदर्शनों को एक बर फिर से विस्थापित होना पड़ेगा और उन्हें जंतर-मंतर से दिल्ली के रामलीला मैदान में शिफ्ट होना पड़ेगा.
एनजीटी के फैसले के बाद जंतर-मंतर सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा. कुछ लोगों ने फैसले का स्वागत किया तो वहीं कुछ लोगों ने फैसले पर दुख जताया.
देश के जानेमाने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने जंतर-मंतर को मिनी इंडिया कहा था. मिनी इंडिया से उनका मतलब यह था कि दिल्ली में यह एक ऐसी जगह है जहां आकर आप देशभर के मुद्दों को समझ सकते हैं. जनता की परेशानी और देश के दशा का आंदाजा लगा सकते हैं.
एनजीटी के हालिया फैसले के बाद रामचंद्र गुहा का 'मिनी इंडिया’ और इंडिया के एक बड़े हिस्सें की समस्याएं संसद भवन से दूर रामलीला मैदान में शिफ्ट हो जाएंगी.