
वेब डाउनलोड के जरिए लेखकों और प्रकाशकों के काॅपीराइट का उल्लंघन ना हो और इस दौरान इनको आर्थिक नुकसान भी न सहना पड़े, इसके लिए मानव संसाधन मंत्रालय जल्द ही कुछ गाइडलाइंस बनाएगा. दिल्ली में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर के पोर्टल लाॅन्च के अवसर पर मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने इसकी जानकारी दी.
मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया के नारे की तरफ एक ओर कदम बढ़ गया है. अब पुस्तक छापने वाले प्रकाशकों और लेखकों को इस काम के लिए जो जरूरी बुक नंबर चाहिए होता है, उसे पाने के लिए कहीं जाने और महीनों इंतजार की जरूरत नहीं पड़ेगी. साथ ही पेपर वर्क भी खत्म होगा. दरअसल, इस काम के लिए अब आॅनलाइन आवेदन की शुरुआत की गई है.
आपको बता दें कि किसी भी किताब को छापने के लिए सरकार से उसका बुक नंबर लेना जरूरी होता है.
स्मृति ईरानी ने किया पोर्टल लाॅन्च
राजा राममोहन राय नेशनल एजेंसी फॉर आईएसबीएन, बुक प्रोमोशन एंड काॅपीराइट डिवीजन ने इसके लिए पोर्टल तैयार किया है. इसका लाॅन्च मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी ने किया. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन के जरिए आवेदनकर्ताओं को एक सप्ताह के अंदर बुक नंबर मिल जाएगा. इस अवसर पर उन्होंने लेखकों और प्रकाशकों के काॅपीराइट्स के बारे में भी चर्चा की.
स्मृति ईरानी ने कहा कि फ्री डाउनलोड से लेखकों और प्रकाशकों को वित्तीय हानि नहीं हो और उनके कॉपीराइट्स का सम्मान हो, इसके लिए हम कुछ गाइडलाइंस बनाने की सोच रहे हैं. लेखकों और प्रकाशकों से इसे लागू करने को लेकर जल्द बातचीत होगी.
इस पर समारोह में उपस्थित लेखकों ने संतुष्टि व्यक्त की. लेखक नरेंद्र कोहली ने कहा कि जब मैं वेब पर अपनी किताब के सामने फ्री डाउनलोड देखता हूं तो दुख तो होता है कि हमारी किताब पर हमारा ही हक नहीं है. यदि मंत्रालय इस पर कुछ करता है, तो हमें जरूर फायदा होगा.
इस अवसर पर स्मृति ईरानी ने बताया कि एक साल के लंबे काम के बाद यह पोर्टल तैयार किया गया है. मंत्रालय आईएसबीएन नंबर के लिए मोबाइल एप के बारे में भी सोच रहा है. इसके लिए राज्य स्तर पर लेखकों, प्रकाशकों से बातचीत की जाएगी.
बुक नंबर के लिए आॅनलाइन आवेदन से लेखकों में अच्छा खासा उत्साह है. कई लेखकों का ये भी कहना है कि नंबर आने में देरी होने के साथ अक्सर जरूरी कागज खोने की समस्या से भी जूझना पड़ता है और कागज खो गए तो दोबारा जमा कराने की पूरी प्रकिया से दो-चार होना पड़ता है.
विशषज्ञों की राय
विशषज्ञ ये भी मानते हैं कि आॅनलाइन नंबर मिलने से दलालों की एंट्री पर रोक लगेगी. ये नंबर फ्री मिलते है लेकिन दलाल इन्हें लेकर आगे बेचते है. ख़ासकर वो लेखक जो नए हैं और दूरदराज़ क्षेत्रों में रहते हैं, वे इन दलालों के झांसे में फंस जाते हैं. ऑनलाइन आवेदन से उन्हें बहुत फायदा होगा.