
दुनिया का हर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के तमाम रिकॉर्डों के करीब पहुंचना चाहता है, लेकिन इस स्टार बल्लेबाज के नाम पर सर्वाधिक बार ‘नर्वस नाइंटीज’ का शिकार बनने का ऐसा रिकॉर्ड भी दर्ज है जिसको शायद कोई अन्य क्रिकेटर हासिल नहीं करना चाहेगा. टेस्ट और वनडे क्रिकेट दोनों में ही तेंदुलकर सर्वाधिक बार 90 और 99 रन के बीच आउट हुए हैं.
वह टेस्ट मैचों में दस और वनडे मैचों में 18 बार (एक बार नाबाद सहित) नर्वस नाइंटीज के शिकार बने. इस तरह से शतकों का शतक पूरा करने वाले तेंदुलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अब तक 28 बार सैकड़े के करीब पहुंचने के बावजूद सैकड़ा पूरा नहीं कर पाये. तेंदुलकर के इस रिकॉर्ड तक शायद ही कोई बल्लेबाज पहुंच पाये, क्योंकि उनके बाद राहुल द्रविड़ (14 बार) दूसरे नंबर पर काबिज हैं. द्रविड़ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं. जो खिलाड़ी अभी खेल रहे हैं उनमें जैक कैलिस 13 बार नर्वस नाइंटीज के शिकार बने हैं.
जहां तक टेस्ट मैचों के रिकॉर्ड का सवाल है तो तेंदुलकर के अलावा द्रविड़ और ऑस्ट्रेलिया के स्टीव वॉ भी दस-दस बार 90 और 99 रन के बीच पवेलियन लौटे. वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में हालांकि तेंदुलकर 18 बार शतक से चूक गये थे. उनके बाद ग्रीम फ्लावर, नाथन एस्टल और अरविंद डिसिल्वा का नंबर आता है जो नौ मौकों पर शतक बनाने से चूके गये थे. तेंदुलकर वनडे में एक बार 96 रन बनाकर नाबाद भी रहे थे.
तेंदुलकर के लिए 2007 ऐसा साल रहा जबकि वह सात मौकों पर शतक पूरा नहीं कर पाये थे. उस वर्ष वह सात बार नर्वस नाइंटीज के शिकार बने. इनमें छह वनडे और एक टेस्ट मैच की पारी शामिल है. वनडे मैचों में तो उस वर्ष वह तीन बार 99 रन बनाकर पवेलियन लौटे थे जो कि रिकॉर्ड है. इसके अलावा तेंदुलकर सन् 2000 में चार तथा 1997, 2003, 2005 और 2011 में दो-दो बार कुछ रनों से शतक बनाने से चूक गये थे.
मोहम्मद अजहरूद्दीन की कप्तानी में उनका अपनी पारियों को शतक में तब्दील करने का रिकॉर्ड अच्छा रहा है. अजहरूद्दीन के कप्तान रहते हुए वह केवल तीन बार नर्वस नाइंटीज के शिकार बने जबकि सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ की कप्तानी में उनके ऐसे स्कोर की संख्या सात-सात जबकि महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाले मैचों में छह है. तेंदुलकर जब स्वयं कप्तान थे तब भी वह चार मौकों पर 90 रन के पार पहुंचने के बावजूद शतक पूरा नहीं कर पाये थे. इसके अलावा तेंदुलकर को रिकॉर्ड 30 बार 80 से लेकर 89 रन के बीच पवेलियन लौटना पड़ा. उनके बाद कैलिस (26 बार), ब्रायन लारा (22 बार) गांगुली (21 बार) और द्रविड़ (20 बार) का नंबर आता है. वह टेस्ट मैचों में 12 बार 80 और 89 रन के बीच पवेलियन लौटे.