स्‍कूल बैग के बोझ से बच्‍चों को मिली आजादी!

क्या ये संभव है, जब छोटे-छोटे नन्हें बच्चे बिना बस्ते के ही स्कूल जाते-आते नजर आएं, शायद लोग कहें कि ये संभव नहीं है, लेकिन छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में ऐसा ही हो रहा है.

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IANS

  • रायपुर,
  • 27 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 2:30 PM IST

क्या ये संभव है, जब छोटे-छोटे नन्हें बच्चे बिना बस्ते के ही स्कूल आते-जाते नजर आएं, शायद लोग कहें कि ये संभव नहीं है, लेकिन छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में ऐसा ही हो रहा है.

बालोद के कलेक्टर राजेश सिंह राणा ने यह अनोखी शुरुआत की है. राणा ने कंधे पर बस्ता लटका कर स्कूल आ रहे बच्चों को बस्तों के बोझ से मुक्त करा दिया है. बच्चे अब उछल-कूद करते खाली हाथ स्कूल आते-जाते हैं.

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2,313 बच्चे बस्ते के बोझ से हुए मुक्त
कलेक्टर राजेश सिंह राणा ने बताया, 'हमने जिले के 50 स्कूलों के 2,313 बच्चों को बस्ता के बोझ से मुक्त करा दिया है. अब बच्चे बिना बस्ता के रोज हंसते-खेलते स्कूल जाते हैं. अब उन्हें भारी-भरकम बस्ता उठाकर स्कूल जाने का डर नहीं सताता है.

बालोद जिले में प्राथमिक शाला के क्‍लास पहली से पांचवीं तक के बच्चों को स्कूल आते-जाते समय अब बस्ता के बोझ से मुक्त करने की नई पहल शुरू की गई है. कलेक्टर राजेश सिंह राणा के दिशा-निर्देश और शिक्षा विभाग के समन्वित प्रयास से कम उम्र के बच्चों के स्वस्थ तन और स्वस्थ मन के विकास के लिए बोझमुक्त वातावरण में शिक्षा को और अधिक आनंददायी बनाने का प्रयास किया गया है.

किताबें रखने को स्‍कूल में बनाए गए रैक
बच्चों को बस्ते के बोझ से मुक्त करने के लिए, जिले के पांचों विकासखंड की चुनी गई दस-दस प्राथमिक शालाओं सहित कुल पचास प्राथमिक शालाओं में बच्चों की पुस्तकें, नोटबुक आदि रखने के लिए सभी क्‍लास में रैक बनाई गए है और रैक में बच्चों के नाम लिखे गए हैं. सभी बच्चों को दो-दो सेट पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं. एक सेट पुस्तक घर पर और एक सेट पुस्तक रैक में रखी गई है. बच्चे होमवर्क मिलने पर सिर्फ नोटबुक लेकर घर जाते हैं और नोटबुक लेकर स्कूल आते हैं. बच्चे अपने नाम के बॉक्स में ही अपनी पुस्तक, नोटबुक आदि सुरक्षित रखते हैं.

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इन जगहों पर लागू हुई नई व्‍यवस्‍था
बालोद विकासखंड के शासकीय प्राथमिक शाला नयापारा, कुंदरूपारा, जुरीर्पारा बालोद, पर्रेगुड़ा, परसाही, अंगारी, जामगांव (बी), मड़वापथरा, मनौद, सोंहतरा में साथ ही डौंडी विकासखंड के प्राथमिक शाला बासाटोला, ककरेल, जबकसा, हिड़कापार, वनपंडेल, बांधापारा, बनगांव, कंजेली, औराटोला, गंगोलीडीह में, डौंडीलोहारा विकासखंड के प्राथमिक शाला जोगीभाट, कापसी, साल्हे, किसना, मरसकोला, रानीतराई, खामतराई, आलीवारा, भंडेरा, बीजाभाठा में, गुंडरदेही विकासखंड के प्राथमिक शाला धर्मी, चाराचार, खलारी, परसतराई, पायला, सिरसिदा, मोखा, कचांदुर, चैनगंज, मटिया में और गुरूर विकासखंड के प्राथमिक शाला मुजगहन, भुलनडबरी, मरकाटोला, कोसमी, ओड़ेनाडीह, पड़कीभाट, पुरूर, नयापारा, सोरर, मंगचुवा और डोकला में यह व्यवस्था शुरू की गई है.

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