Advertisement

नूरपुर: पति की विरासत नहीं बचा पाईं अवनि, सपा का खुला खाता

उत्तर प्रदेश के बिजनौर की नूरपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा उम्मीदवार नईमुल हसन ने बीजेपी उम्मीदवार अवनि सिंह को 6211 मतों से मात दी है.

अवनी सिंह और नईमुल हसन अवनी सिंह और नईमुल हसन
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2018,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST

उत्तर प्रदेश के बिजनौर की नूरपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा उम्मीदवार नईमुल हसन ने बीजेपी उम्मीदवार अवनि सिंह को 6211 मतों से मात दी है. जबकि ये सीट बीजेपी की सबसे मजबूत सीट मानी जाती थी, वहीं, सपा का इस सीट पर पहली बार खाता खुला है.

बता दें कि ये सीट बीजेपी के लोकेंद्र सिंह चौहा की एक दुर्घटना में निधन की वजह से खाली हुई थी. अवनी सिंह लोकेंद्र चौहान की पत्नी हैं, जिन्हें बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था. वहीं सपा ने पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे नईमुल हसन पर एक बार फिर भरोसा जताया था. आरएलडी, कांग्रेस और बसपा उन्हें समर्थन कर रही है.नईमुल हसन उस पर खरे उतरते हुए जीत हासिल करके विधायक बनने में कामयाब रहे.

Advertisement

नूरपुर विधानसभा सीट परिसीमन के बाद 2012 में वजूद में आई, तब से इसपर बीजेपी का कब्जा है. दोनों बार इस सीट से लोकेंद्र सिंह चौहान बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीते हैं. हालांकि ये सीट मुस्लिम बहुल मानी जाती है क्योंकि यहां 1 लाख 20 हजार मुस्लिम मतदाता है जबकि दलित 40 हजार हैं. इसके अलावा करीब 60 हजार राजपूत वोट हैं.

2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लोकेंद्र सिंह ने सपा के नईमुल हसन को करीब 10 हजार मतों से मात दी थी. बीजेपी को 79 हजार 172 तो सपा को 66 हजार 436 और बसपा को 45 हजार 903 वोट मिले थे. मुस्लिम वोटों के सपा और बसपा में बंटने से बीजेपी की जीत की राह आसान हो गई थी. इस बार बसपा और आरएलडी ने अपने उम्मीदवार सपा के समर्थन में नहीं उतारे, जिसका फायदा सपा को मिला.

Advertisement

बता दें कि 2012 से पहले ये सीट स्योहारा विधानसभा सीट के नाम से जानी जाती थी. स्योहारा सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. 1991 में इस सीट से बीजेपी के महावीर सिंह विधायक बने. 1993 में हुए मध्यावधि चुनाव में महावीर सिंह फिर से विधायक बन गए.

1997 में बीजेपी के वेदप्रकाश ने इस सीट पर कब्जा जमा लिया. 2002 के चुनाव में यह सीट बसपा की झोली में चली गई. बसपा के टिकट पर कुतुबद्दीन अंसारी चुनाव जीतकर विधायक बने. इसके बाद 2007 में बसपा ने ठाकुर यशपाल सिंह को उतारा वे चुनाव जीते और मायावती सरकार में मंत्री बने. इसके बाद ये सीट नूरपुर बनी. इसके बाद दो चुनाव हुए और दोनों बार बीजेपी के लोकेंद्र सिंह विधायक बने. हालांकि ये सीट 1967 और 69 में नूरपुर विधानसभा सीट थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement