
पूर्वोत्तर के नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय के विधानसभा चुनावों में बीजेपी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. लेफ्ट दुर्ग कहा जाने वाला त्रिपुरा भगवा रंग में रंग गया है. नगालैंड में भी बीजेपी गठबंधन सत्ता की ओर अग्रसर है. मेघालय में बीजेपी भले ही सत्ता में अपनी जगह नहीं बना सकी हो पर उसका ग्राफ बढ़ा है. और यहां अंतिम नतीजों तक सत्ता का ऊंट किस करवट बैठेगा, कहा नहीं जा सकता.
त्रिपुरा में भगवा ध्वज
त्रिपुरा की सियासी जंग जीतने के लिए बीजेपी इस बार इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) के साथ गठबंधन करके मैदान में उतरी थी. IPFT अलगाववादी संगठन के तौर पर जाना जाता है. इसके बावजूद बीजेपी ने उसके साथ गठबंधन किया. इसी गठबंधन के बूते बीजेपी ने लेफ्ट के 25 साल के किले को यहां ध्वस्त कर दिया है.
बीजेपी के लिए ये जीत राजनीतिक रूप से ज्यादा वैचारिक जीत मानी जा रही है. कांग्रेस का खाता खुलता नहीं दिख रहा है.
2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां खाता नहीं खोल सकी थी. पिछले चुनाव में बीजेपी ने त्रिपुरा में 50 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 49 की जमानत जब्त हो गई थी. महज 1.54 फीसदी वोट पार्टी को मिले थे. लेफ्ट 50 सीट जीतकर सत्ता में आई थी, उसे 48.58 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस 36.50 फीसदी वोट के साथ 10 सीटें जीत सकी थी, जिनमें 6 विधायक पहले टीएमसी और फिर बीजेपी में शामिल हो गए.
मेघालय की सत्ता में कांग्रेस पिछले 10 साल से काबिज है. यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) बीजेपी के साथ केंद्र में मोदी सरकार के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा है, लेकिन राज्य में दोनों पार्टियां अकेले-अकेले मैदान में उतरी हैं. कांग्रेस इस बार भी सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है, लेकिन अपने दम पर सत्ता में नहीं पहुंच पा रही है. मेघालय में किंगमेकर की भूमिका में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) है. पीएम संगमा ने एनसीपी से अलग होकर इस पार्टी का गठन किया था.
2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 34.78 फीसदी वोटों के साथ 29 सीटें जीतकर मेघालय की सत्ता के सिंहासन पर काबिज हुई थी. बीजेपी ने 13 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कोई भी जीत नहीं सका. पार्टी को 1.27 फीसदी वोट मिले थे. यूडीएफ 17.11 फीसदी वोट के साथ 8 विधायक जीतकर दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी. एचएचपीडीपी को 4.17 फीसदी वोट और 4 सीट, एनपीपी को 8.81 फीसदी वोट और दो सीट और एनसीपी 1.84 फीसदी वोट व दो सीट जीती थी. इसके अलावा 1 जीएनसी, 1 NESDP और 13 निर्दलीय जीते थे.
नगालैंड में भी सत्ता परिवर्तन होता दिख रहा है. राज्य की सत्ता पर नगा पीपुल्स फ्रंट 2003 से काबिज है. बीजेपी ने सत्ता पर काबिज होने के लिए पिछले साल गठित नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के साथ मैदान में उतरी थी. एनडीपीपी 40 सीट और बीजेपी 20 सीट पर मैदान में उतरी थी. वहीं कांग्रेस सिर्फ 18 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
2013 के विधानसभा चुनाव में एनपीएफ ने 47.04 फीसदी वोट के साथ 38 सीटें जीतकर सत्ता को बरकरार रखा था. कांग्रेस के 24.89 फीसदी वोट के साथ 8 विधायक जीते थे. एनसीपी को 6.05 फीसदी के साथ 4 सीटें, जेडीयू 1.6 फीसदी वोट के साथ 1 विधायक, बीजेपी 1.75 फीसदी वोट के साथ 1 सीट जीत पाई तो 8 निर्दलीय विधायक भी जीते थे.