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पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए अपना विजय अभियान जारी रखा है. त्रिपुरा में बीजेपी ने वाम दलों का किला ध्वस्त करते हुए शनिवार को आए विधानसभा चुनावों के परिणामों में विरोधियों को चित कर दिया है.
त्रिपुरा में भाजपा गठबंधन को बहुमत मिलने के बाद सरकार बनना तय है, जबकि भगवा पार्टी नगालैंड में भाजपा गठबंधन की सरकार बनाने की दिशा में अग्रसर है. वहीं, मेघालय में भी भाजपा गैर-कांग्रेसी दलों को साथ लेकर सरकार बनाने की कोशिश कर रही है. भाजपा संसदीय बोर्ड की शाम में हुई बैठक में यह विश्वास जताया गया कि पार्टी नगालैंड और मेघालय में भी सरकार बनाएगी.
त्रिपुरा में बीजेपी को दो तिहाई बहुमत
बीजेपी ने त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 25 सालों के वाम किले को ढहा दिया है. बीजेपी ने यहां 35 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं, गठबंधन में उसकी सहयोगी स्वदेशी पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) 8 सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही है. इस प्रकार बीजेपी गठबंधन ने 59 सीटों में से 43 सीटों पर विजय हासिल की है. बता दें कि इस आईपीएफटी गठबंधन ने प्रदेश की सभी सुरक्षित 20 जनजातीय विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है.
5 साल में पहले बीजेपी के 49 उम्मीदवारों की जमानत हो गई थी जब्त
त्रिपुरा में भाजपा को 2013 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 1.5 फीसदी वोट मिले थे और 50 में 49 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. जबकि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा को 43 फीसदी वोट मिले हैं. वहीं, वाम मोर्चे को 2013 के चुनाव में कुल 50 सीटें मिली थीं और वह अभी सिर्फ 18 सीटों पर आगे चल रही है.
माकपा और भाकपा गठबंधन को 44 फीसदी से अधिक वोट मिले हैं, जो पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में लगभग छह फीसदी कम है. माकपा को अकेले 42.7 फीसदी वोट मिले हैं. कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में 10 विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली थी लेकिन इस बार पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई.
प्रदेश की 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों पर 18 फरवरी को मतदान हुए थे. जनजातीय सुरक्षित सीट चारीलम में 12 मार्च को मतदान होगा. यहां माकपा उम्मीदवार नारायण देबबर्मा का निधन हो जाने से मतदान नहीं हो पाया था.
नगालैंड में बीजेपी के दोनों हाथों में है लड्डू
नगालैंड में तेजी से बदलते घटनाक्रम में ऐसा लगता है कि बीजेपी के दोनों हाथों में लड्डू है. उसके और एनडीपीपी के गठबंधन को ज्यादा सीटें तो मिली ही हैं, दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री टी.आर.जेलियांग के नेतृत्व में एनपीएफ पहले ही प्रस्ताव पारित कर चुकी है और उसने भाजपा के साथ गठबंधन में रहने की इच्छा जताई है. शनिवार को आए 59 सीटों के परिणाम में नगालैंड में सत्तारूढ़ नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने 27 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि भाजपा की झोली में 11 सीटें आई हैं. एक सीट पर एनडीपीपी के नेता नेफियू रियो पहले ही निर्विरोध जीत चुके हैं.
पिछली बार एनपीएफ को मिला था बहुमत
राज्य में अभी नगा पीपल्स फ्रंट यानी एनपीएफ की सरकार थी. ये वही एनपीएफ है जिसके साथ बीजेपी का करीब 15 साल पुराना गठबंधन था. नगालैंड की सत्ता पर नगा पीपल्स फ्रंट 2003 से ही काबिज है. यह सत्ता एनपीएफ ने कांग्रेस को बेदखल करके हासिल की थी. शुरहोजेलि लियोजित्सु इसके अध्यक्ष हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में एनपीएफ ने राज्य की 60 सीटों में से 37 सीट पर जीत दर्ज की थी.
मेघालय में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद कांग्रेस को नुकसान
मेघालय में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 21 सीटों पर जीत हासिल की है, इसके बावजूद उसे पिछले चुनाव के मुकाबले नुकसान झेलना पड़ा है. बता दें कि पिछले चुनावों में पार्टी ने 60 में से 29 सीटें जीती थीं. वहीं, भाजपा की संभावित गठंबधन साझेदार नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने 19 सीटें जीत ली हैं और भाजपा को 2 सीटों पर जीत मिली है.
गोवा और मणिपुर जैसे हालात से बचने के लिए कांग्रेस का हाईकमान जीत के तुरंत बाद ही एक्टिव हो गया. यही वजह है कि शनिवार देर रात मेघालय कांग्रेस के अध्यक्ष विंसेंट पाला और कांग्रेस के महासचिव सीपी जोशी ने राज्यपाल गंगा प्रसाद से मुलाकात की. साथ ही कांग्रेस की तरफ से सरकार बनाने की दावेदारी वाला लेटर भी सौंपा.
लेटर में लिखा गया है कि कांग्रेस पार्टी राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर बनकर उभरी है. संवैधानिक नियमों के अनुसार कांग्रेस को जल्द से जल्द सरकार बनाने के लिए निमंत्रण दिया जाना चाहिए. विधानसभा में तय दिन और समय के अनुसार पार्टी बहुमत सिद्ध कर देगी.