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सुलग रही थी नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली, हिंदुओं और मंदिरों के लिए जागते रहे मुस्लिम नौजवान

उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा ने दिल्ली को ऐसे दाग दिए हैं, जिन्हें भूल पाना मुश्किल है. लेकिन हिंसा के बीच ही कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने इंसानियत की मिसाल पेश की. मुस्तफाबाद में रहने वाले मुस्लिम परिवारों ने न केवल हिंदू परिवारों की हिफाजत की बल्कि मंदिर की पहरेदारी में पांच रात जागते रहे.

दिल्ली हिंसा के विरोध में लोगों ने किया प्रदर्शन (फाइल फोटो-PTI) दिल्ली हिंसा के विरोध में लोगों ने किया प्रदर्शन (फाइल फोटो-PTI)
ऐश्वर्या पालीवाल
  • नई दिल्ली,
  • 01 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 11:24 AM IST

  • दिल्ली हिंसा में 41 लोगों की हो चुकी है मौत
  • हिंसा के बीच ही मुस्तफाबाद में दिखा भाईचारा
  • मुस्लिम परिवारों ने की हिंदू परिवारों की रक्षा

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भड़की हिंसा में एक के बाद एक 41 लोगों की मौत हो गई है. नागरिकता कानून को लेकर भिड़े दो पक्षों के बीच हिंसा इतनी भड़क गई कि पूरी दिल्ली सुलग गई. हिंसा की खबरों के बीच कुछ ऐसी भी खबरें सामने आईं, जिन्हें देखकर लगा कि जब तक अच्छे लोग हैं, तब तक इंसानियत को कुछ नहीं हो सकता.

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उत्तरी-पूर्वी दिल्ली का मुस्तफाबाद इलाका हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. लेकिन इसी मुस्तफाबाद में ही हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की एक अलग मिसाल देखने को मिली. जब उत्तर पूर्वी दिल्ली सुलग रही थी, तभी 40 वर्षीय कल्याण सिंह और मौलाना हाजी जीन मोहम्मद एक-दूसरे की हिफाजत कर रहे थे.

मुस्तफाबाद के बाबू नगर में रहने वाले 60 परिवारों में 13 परिवार हिंदू हैं. मुस्लिम लोगों ने न केवल हिंसा के दौरान अपने हिंदू पड़ोसियों की रक्षा की बल्कि उनके आसपास मंदिरों की भी हिफाजत में उतर गए. इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए मौलाना हाजी दीन मोहम्मद ने कहा जैसे ही हमें हिंसा के बारे में सूचना मिली, हमने अलग-अलग टीमें बना लीं. हमारी टीमों में कुछ युवा शामिल रहे. हमने उनसे मंदिरों की हिफाजत करने के लिए कहा.

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'मुस्लिम भाइयों पर था भरोसा'

बाबू नगर की रहने वाली सुषमा शर्मा ने कहा, 'मेरा परिवार मंदिर नहीं गया. लेकिन हमें ये पता था कि हमारा मंदिर सुरक्षित है. हमारे मुस्लिम भाई और चाचा लोग मंदिरों की निगरानी में खड़े हैं.'

मौजूदा हालात पर सुषमा ने कहा, 'हम 40 साल से यहां रह रहे हैं. हम अच्छे-बुरे दिनों में एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं. हम किसी भी घटना की वजह से आपसी माहौल नहीं बिगड़ने देंगे. '

बाबू नगर के ही रहने वाले कल्याण सिंह ने कहा, 'मुस्लिम हमारे मंदिरों की रक्षा कर रहे थे, ठीक वैसे ही जैसे हमारे बच्चे. मुझे पता है कि वे मेरे और मेरे परिवार की रक्षा के लिए भी खड़े हैं.'

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एक और स्थानीय निवासी अरशद ने कहा, 'जैसे ही हमने हिंसा के बारे में बातें सुनीं, हमने मानव श्रृंखला बना ली, जिससे हिंसा करने वाले लोग हमारे मोहल्ले में घुस न सकें. हमारा मकसद साफ था कि हिंदू भाइयों और बहनों की रक्षा हर हाल में होनी चाहिए.'

बीते 5 दिनों से मुस्लिम युवा हिंदू घरों की निगरानी कर रहे हैं और मंदिरों के सामने भी पहरेदारी कर रहे हैं. यह इलाका वही है, जहां की जमीन हिंसा से सुलग उठी थी, घरों को जला दिया गया था, गाड़ियों को तोड़ दिया गया था और इंसानियत सिसक रही थी.

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तिलक नगर में भी दिखी सांप्रदायिक एकता की मिसाल

एक तरफ जहां उत्तर पूर्वी दिल्ली में दो समुदाय आपस में हिंसा पर उतर आए, वहीं हिंसा पीड़ितों की मदद के लिए तिलक नगर के चौखंडी इलाके से मुस्लिम समुदाय के लोग सामने आए हैं. उन्होंने आपसी सौहार्द की मिसाल पेश करते हुए हिंसा पीड़ितों के लिए खाने पीने की तमाम चीजें इकट्ठा कर भेजीं. इस काम में हिंदुओं ने भी सहयोग किया.

इलाके की मस्जिद की अगुवाई में दूसरे धर्मों के साथ मिलकर दाल, चावल, चूड़ा, चिप्स, बिस्किट, कोल्ड ड्रिंक, सब्जी सहित कई खाने-पीने की चीजें इकट्ठा कर पीड़ितों के लिए भेजीं. इनका कहना है कि ये बिना किसी धार्मिक भेदभाव के सबकी मदद कर बस इंसानियत का धर्म निभा रहे हैं.

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