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किम जोंग उन ने उतारा शराफत का मुखौटा, फिर बना रहा है मौत का सामान!

CSIS की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर कोरिया में 13 गुप्त मिसाइल ठिकाने हैं. इनकी संख्या 20 भी हो सकती है. सेटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि उत्तर कोरिया बड़े परमाणु अभियान में जुटा है.

किम और ट्रंप की मुलाकात पर पूरी दुनियाभर की नजरें लगी हुई थीं किम और ट्रंप की मुलाकात पर पूरी दुनियाभर की नजरें लगी हुई थीं
परवेज़ सागर/शम्स ताहिर खान
  • नई दिल्ली,
  • 30 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

2017 का पूरा साल इस कशमकश में बीता कि कहीं अमेरिका और उत्‍तरी कोरिया के बीच परमाणु युद्ध ने छिड़ जाए. लेकिन इस बीच दक्षिण कोरिया, चीन और रूस ने बीचबचाव किया और परमाणु बम पर चढ़े बैठे किम जोंग उन को बातचीत की टेबल पर आने के लिए राजी कर लिया. हैरानी तो तब हुई, जब डोनाल्‍ड ट्रंप के साथ किम जोंग ने हाथ मिलाया और अमेरिका के कहने पर अपनी न्‍यूक्‍लियर साइट को धमाके से उड़ा दिया. जब दुनिया का लगा कि किम बदल गया है, लेकिन जो बदल जाए उसे किम जोंग उन नहीं कहते. छह महीने बाद चेहरे से शराफत का मुखौटा उतारते हुए किम जोंग लौट आया है.

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किम जोंग उन ने पूरा किया वादा!

इसी साल 12 मई को नार्थ कोरिया के शासक मार्शल किम जोंग उन ने बयान दिया था कि अगर मौसम ठीक रहा तो 23 से 25 मई तक देश के मध्य पुंग्ये-री परमाणु परीक्षण स्थल को नष्ट कर दिया जाएगा. और 12 जून को सिंगापुर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप से मुलाकात से पहले नॉर्थ कोरिया के मार्शल किम जोंग उन ने पुंग्ये-री में अपनी परमाणु साइट को खत्म करने का वादा किया था. अपने वादे के मुताबिक उसने दुनियाभर के पत्रकारों के सामने पुंग्ये-री की इस साइट को कई धमाकों से ज़मींदोज़ कर भी दिया. मगर ये किम है. जो नज़र तो आता है. मगर समझ में नहीं आता.

अमेरिका समझ रहा था कि उसने अपने दुश्मन को घुटनों पर ला दिया. लेकिन वो ये भूल गया कि किम के पास हमेशा प्लान बी मौजूद रहता है. प्योंग-री की साइट को अगर उसने दुनिया भर की मीडिया के कैमरों के सामने तबाह किया. तो उसके बदले दुनिया से छुपकर उसने 13 ऐसे गुप्त ठिकाने तैयार कर लिए जहां पर वो अपने बलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को आगे बढ़ा रहा है.

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तो क्या समझा जाए कि किम ने दुनिया से वादाखिलाफी की है? सैटेलाइट तस्वीरों ने किम की पोल खोल दी है. उत्तर कोरिया ने 13 खुफिया मिसाइल ठिकाने बनाए हैं. इससे सवाल उठता है कि क्या उत्तर कोरिया का शासक किम जोंग अमेरिका को धोखा दे रहा है?

उत्तर कोरिया के डीन्यूक्लिराइज़ेशन की हकीकत ये है कि वो खुद को नरम दिखाकर अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट पाने की आड़ में रूस और चीन के साथ फिर से व्यापार शुरू करना चाहता था. जो अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से अटका हुआ था. मगर अब पता चला है कि वो सब धोखा था. असल में तो उत्तर कोरिया में परमाणु हथियार, मिसाइल परमाणु सामग्री, मोबाइल लॉन्चर जैसे कार्यक्रम पहाड़ों में छिपे हुए उसके गुप्त ठिकानों में अभी भी जारी हैं.

सेटेलाइट तस्वीरों में उत्तर कोरिया के परमाणु शक्ति से लैस अपनी मिसाइलों को छिपाने के लिए 13 ठिकाने नज़र आए हैं. मगर ऐसा अनुमान लगाता जा रहा है कि ये तादाद 20 भी हो सकती है. अमेरिकी सेंटर फार स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज यानी सीएसआईएस के रिसर्चरों ने इस बारे में जो रिपोर्ट जारी की है.

उस रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर कोरिया में 13 गुप्त मिसाइल ठिकाने हैं. इनकी संख्या 20 भी हो सकती है. सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि उत्तर कोरिया बड़े परमाणु अभियान में जुटा है. उत्तर कोरिया एक बार फिर से परमाणु हथियारों का जखीरा तैयार करने में जुट गया है.

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उत्तर कोरिया के बारे में हुए इस खुलासे के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की हालत ऐसी हो गई है कि वो किम जोंग उन नाम की हड्डी को ना उगल पा रहे हैं और ना निगल पा रहे हैं. क्योंकि सिंगापुर में किम से मुलाकात से पहले ट्रंप ने ही दुनिया को ये यकीन दिलाया था कि किम ने उनकी बात मानते हुए अपने परमाणु कार्यक्रम को छोड़ दिया है.

लिहाज़ा अब सैटेलाइट तस्वीरों में उत्तर कोरिया के गुप्त मिसाइल कार्यक्रम ठिकानों के नजर आने के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उत्तर कोरिया के परमाणु खतरे का बेअसर होने का दावा कर रहे हैं. ट्रंप ने अभी तक इस सैटेलाइट तस्वीरों पर भी चुप्पी साधी हुई है.

हालांकि इन सैटेलाइट तस्वीरों से पहले संयुक्त राष्ट्र ने भी अगस्त के महीने में एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि उत्तर कोरिया ने अपना परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम नहीं रोका है. सुरक्षा परिषद को भेजी गई 62 पन्ने की रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा था कि प्योंगयांग संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए पेट्रोलियम उत्पादों, कोयला, लोहा, समुद्री भोजन और दूसरे उत्पादों का निर्यात कर रहा है. जिससे किम जोंग उन प्रशासन को लाखों डॉलर की आमदनी हो रही है. जिसका इस्तेमाल वो मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम जारी रखने के लिए कर रहा है.

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