
उसे जो अच्छा लगता है वो करता है. चाहे वो समाज के खिलाफ हो, कानून के खिलाफ़ हो या पूरी इंसानियत के खिलाफ ही क्यों न हो. तभी तो उसे दुनिया तानाशाह कहती है. मगर इस तानाशाह की तानाशाही जो आपने अब तक देखी है. वो तो कुछ भी नहीं. जो हम आपको बता रहे हैं, वो क्रूरता की सारी हदें पार कर देने वाला है. और वो है किम जोंग उन के टॉर्चर रूम. जहां इंसान जाता तो ज़िंदा है, मगर लौटता है लाश बनकर.
दुनिया का सबसे बेरहम इंसान!
तारीख के पन्ने उठाकर उन्हें पलटना शुरू कीजिए और ढूंढिए उस इंसान को जिसे दुनिया का सबसे क्रूर, सबसे बेरहम और सबसे बेदर्द इंसान कहा जा सके. यक़ीनन आपके दिमाग में कुछ नाम आने लगे होंगे कुछ के दिमाग में एडोल्फ हिटलर का नाम आया होगा. जिसने यातना कैंप में लाखों यहूदियों को तड़पा तड़पा कर मार डाला. कुछ ने अबू बकर अल बग़दादी तस्सवुर किया होगा. जिसके मौत देने के तरीके से खुद यमराज भी पनाह मांगते हैं. या फिर कुछ सद्दाम हुसैन के बारे में सोच रहे होंगे. जिन्होंने कैमिकल अटैक कर हज़ारों लोगों को एक झटके में मौत की नींद सुला दिया. या कुछ जोसेफ़ स्टालिन, पोल पॉट, ईदी अमीन चंगेज़ ख़ान और माओ ज़ेदांग के बारे में सोच रहे होंगे.
क्रूरता का देवता किम जोंग उन
मगर जब आप किम जोंग उन के नाम तक पहुंच जाएं तो अपने ज़हन की कसरत को रोक दीजिए. क्योंकि अब आप उस इंसान तक पहुंच चुके हैं. जिसकी क्रूरता का तारीख में न तो कोई सानी हुआ. न है और न ही शायद कभी होगा. आपको पूरा हक़ है कि आप हैरान हो जाएं. हम भी हुए थे मगर तब तक, जब तक हमारा सामना उस सच्चाई से नहीं हुआ. जिसे इस तानाशाह ने दुनिया के सामने आने नहीं दिया. वो सच्चाई ये है कि बेरहमी के मामले में न तो हिटलर, न बगदादी, न सद्दाम और न ही ईदी अमीन ही इसके करीब तक पहुंचते हैं.
टॉर्चर रूम में हर रोज मरते हैं लोग
इस तानाशाह के टॉर्चर रूम के बारे में एक पीड़ित बताता है कि आप वहां अकेले रहकर सिर्फ मौत का इंतज़ार कर सकते हैं. हर रात बत्तियां बुझने के बाद भी हर कमरे से चीखें सुनाई देती थीं. क्योंकि हर रात कोई न कोई वहां से भागने की कोशिश करता था. और पकड़ने जाने पर उन्हें नंगा कर के बड़ी बेरहमी से रातभर पीटा जाता है. सबसे दर्दनाक तो ये है कि हर रोज़ वहां लोग बेरहम मौत मर रहे हैं और दुनिया को इसका पता तक नहीं है.
रुह कंपा देने वाली यातनाएं
अगर आपका दिल कमज़ोर है तो अभी भी हम आप से गुज़ारिश करेंगे कि हमारी इस रिपोर्ट को मत पढ़िए और न देखिए. वो इसलिए कि जैसे जैसे आप आगे बढ़ते जाएंगें. इंसानियत से आपका यकीन उठता जाएगा. क्योंकि ये कहानी नार्थ कोरिया के ऐसे तानाशाह कि है जिसने अपनी क्रूरता से मुल्क की जेलों और यातना कैंपों में सिर्फ कैदियों के जिस्मों को ही नहीं बल्कि रूहों को भी ज़ख्मी कर दिया है. और आज ये कहानी उन्हीं ज़ख्मों और किम जोंग उन के सच से पर्दा उठाएगी.
एक महिला ने बताई खौफनाक सच्चाई
एक भुक्तभोगी महिला बताती है कि वो दुनिया से कहना चाहती हूं कि भगवान के लिए उन लोगों को बचा लीजिए जो उन टॉर्चर कैंपों में फंसे हुए हैं. क्योंकि वो वहीं से बचकर आई है. उसने वो दर्द झेला है. कैदी ऐसी ऐसी सेल में बंद होते हैं जहां वो न तो बैठ सकते हैं. न लेट सकते हैं और न खड़े ही हो सकते हैं. वो कुत्तों के पिंजड़ों की तरह थे. और उन्हें वहां वैसे ही रहना पड़ता था. वो उसी में खाते थे. उसी में शौच करते थे. ये कहानी एक दो लोगों की नहीं बल्कि सैकड़ों लोग हैं जो नार्थ कोरिया की जेलों या यातना कैंपों से भागने में कामयाब रहे. उन्होंने किम जोंग उन के ज़ुल्मों सितम की कहानी बयान की है. मगर चेहरा दिखाने की हिम्मत रोट नाम की महिला के अलावा कोई और नही कर पाया.
कैदियों को मिलता है सड़ा हुआ खाना
जेलों और कैम्पों में इतना ज़ुल्म होता है कि लोग भागने की कोशिश करते हैं. और वो बिना सोचे समझें उन्हें गोली मार देते हैं. और बाकी कैंदियों को उसकी लाशें दिखाकर धमकी दी जाती है कि उनका भी यही हाल होगा. खाने के नाम पर कैदियों को दिन में सिर्फ एक बार एक कटोरा चावल मिलता है. उसमें भी इतना पानी मिला दिया जाता है कि वो चावल से दलिया बन जाता है और उसमें से सड़न की बदबू आती है.
बिना सुनवाई के मिलती है बेरहम सजा
नार्थ कोरियाई यातना कैंप इस धरती पर उस जहन्नम की तरह है. जहां इंसानियत नाम की कोई चीज़ ही नहीं है. दिन में 18-18 घंटे कैदियों से मशीनों की तरह काम कराया जाता है. और काम से इंकार करना यहां अपनी दर्दनाक मौत को दावत देने जैसा है. खाने के नाम पर भी इन्हें जो मिलता है वो उसे खाकर कुछ दिनों में कमज़ोरी से ही मर जाते हैं. और जो नहीं खाते वो भूख से मर जाते हैं. कैदियों को टॉर्चर करने के लिए जिन क्रूर तरीकों का यहां इस्तेमाल किया जाता है, उसकी मिसाल न तो मौजूद दुनिया में और न ही इतिहास में कहीं नहीं मिलती है. किसी भी नियम को तोड़ने पर यहां बिना किसी सुनवाई के एक ही सज़ा मिलती है. और वो है मौत.
पहली बार दुनिया के सामने आई ऐसी क्रूरता
ये पहला मौका है जब दुनिया के सामने नार्थ कोरिया के सनकी तानाशाह की क्रूरता की हकीकत सामने आ रही है. मगर किम जोंग उन के टॉर्चर रूम दी जाने वाली यातनाओं का पूरा खुलासा अभी बाकी है. मीडिया पर पाबंदी लगाकर कैसे ये तानाशाह अपने कैदियों पर कहर ढहा रहा है. इसकी इनसाइड स्टोरी हम आपको बता रहे हैं. और ये इनसाइड स्टोरी किम जोंग उन के मौत के शिविर में बतौर गार्ड तैनात रहे लिम की आंखों देखी है. वो बताता है कि हाथों को पीछे बांधने के बाद वे उसके बाल पकड़कर चेहरे को दीवारों और टेबल पर दे मारते थे. वो इंसान नहीं हैवान हैं. एक इंसान दूसरे इंसान के साथ ऐसा कैसे कर सकता है. उस जगह के बारे में बताने के लिए उसके पास शब्द नहीं है. वहां टॉर्चर की शुरूआत सूरज निकलने के साथ होती है और सूरज डूबने के बाद तक जारी रहती है.
महिला कैदियों के साथ बलात्कार
लिम के मुताबिक पुरूष सिक्युरिटी गार्ड महिला कैदियों का रेप करते हैं. उसने अपनी आंखों के सामने हज़ारों कैदियों का रेप और हत्या होते देखा है. इतना ही नहीं उन्हें ज़िंदा जला दिया जाता है. गर्भवती होने पर महिला कैदियों को अबार्शन करने के लिए मजबूर किया जाता है. वो गर्भवति महिलाओं के पेट पर लात मारते हैं. इसके बावजूद भी अगर बच्चे पैदा हो जाते थे तो उन्हें जिंदा दफन कर दिया जाता है. लिम कहती हैं कि अभी भी ये यकीन कर पाना मुश्किल है कि वह ज़िंदा है. जहां उसे रखा गया था, वहां इंसान नहीं रह सकते. वो मौत का कमरा था. लिम वो हैं जिनकी किस्मत अच्छी थी और जो नार्थ कोरिया के मौत के शिविरों से किसी तरह भागने में कामयाब रही. ये उन्हीं की आप बीती है. मगर दर्द की इन कहानियों के बीच उस आवाज़ को सुनिए जिसने ये सब अपनी आंखों के सामने होते देखा है.
लिम ने किया है खौफनाक खुलासा
लिम हाइ-जिन वही महिला गार्ड है, जिसने नार्थ कोरिया के इस तानाशाह की हकीकत दुनिया के सामने लाकर उसे बेनकाब कर दिया है. जिन यातना कैंप में महिलाओं के साथ ये बर्बरता हो रही थी. वहां लिम मौजूद थी. उसने ये सब कुछ अपनी आंखों से देखा है. उसने देखा है कि कैसे उसकी साथी पुरूष गार्ड महिला कैदियों के साथ जानवरों की तरह बदसलूकी कर रहे थे. उसने देखा है कि कैसे गर्भवती होने पर महिला कैदियों का बेहद क्रूर तरीके से अबार्शन कर दिया जाता था. लिम हाइ-जिन के इस खुलासे से पूरी दुनिया सकते में है. उत्तर कोरिया से भागकर दक्षिण कोरिया आ चुकी लिम ने ये खुलासा एक अंग्रेज़ी अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में किया है. लिम ने बताया कि कैसे यातना शिविरों में कैदियों को मामूली बात पर जान से मार दिया जाता है. बलात्कार का विरोध करने पर महिलाओं को ज़िंदा जला दिया जाता है.
लिम को सताता है हत्या का डर
नार्थ कोरिया से भागने वाली लिम हाइ जिन कहती हैं कि वहां पहरेदारों का ब्रेनवॉश कर दिया जाता था. उन्हें कैदियों के साथ सहानुभूति नहीं रखने को कहा जाता था. जाने अनजाने कैदियों पर उसने भी सितम किए उन्हें यात्नाएं दी. या उन पर जुल्म होते हुए देखा उस पर उसे अब अफसोस होता है और अपराधबोध भी. अपनी आंखों के सामने यातना और बलात्कार की घटनाओं को देखने के बाद वह कई दिनों तक खाना नहीं खा पाई थी. नार्थ कोरिया के सनकी तानाशाह की तानाशाही को पूरी दुनिया के सामने पर्दाफाश करने वाली लिम हाइ-जिन फिलहाल दक्षिण कोरिया में हैं. मगर फिर उन्हें हर पल ये डर सताता है कि किम जोंग उन के आदमी कभी भी उनका क़त्ल कर सकते हैं.
हर साल दो से तीन हजार कैदियों की मौत
दरअसल, क्रूरता की हद जहां खत्म हो जाती है. उसके आगे की कहानी वहां शुरू होती है. और किम जोंग उन की इसी क्रूरता के आगे जेलों में रोज़ाना एक से दो कैदी अपना दम तोड़ देते हैं. और टॉर्चर रूम में जब लाशें जमा हो जाती हैं तो उन्हें एक साथ एक गड्ढ़े में रखकर जला दिया जाता है. आंकड़े गवाह हैं कि किम के सत्ता में आने के बाद से हर साल यहां 2 से 3 हज़ार कैदियों की टॉर्चर से और इतनों की ही भूख से सांसें रूक जाती हैं. नार्थ कोरिया में लोग भगवान से सिर्फ एक ही दुआ करते हैं कि उनसे ऐसी कोई भी गलती न हो कि उन्हें वहां की चार दीवारियों में कैद होना पड़े. क्योंकि वो जानते हैं कि मरने से पहले ही उनका ये सनकी तानाशाह उन्हें यहीं ही जहन्नुम दिखा देगा. और वहां कैद होने के बाद निकलना नामुमिकन है. और निकलने की कोशिश करना मौत.