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दक्षिण कोरिया के साथ अमेरिका ने शुरू किया सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच तल्ख रिश्तों की बात तो हर कोई जानता है. लेकिन अब उत्तर कोरिया के नए मिसाइल परीक्षण के बाद इसके तानाशाह किम जोंग उन के सिर पर तबाही मंडराने लगी है. अमेरिका अपने सहयोगी मुल्क और उत्तर कोरिया के जानी दुश्मन दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर दो दर्जन से ज्यादा फाइटर जेट्स के साथ युद्धाभ्यास करना चाहता है. हालांकि उत्तर कोरिया की मानें तो ये उसे परमाणु युद्ध के लिए ललकारनेवाली बात है. ऐसे में किम के सिर पर मंडराती इस तबाही का अंजाम क्या होगा, ये कोई नहीं जानता.

इस युद्ध अभ्यास को किम के मिसाइल परीक्षण का जवाब माना जा रहा है इस युद्ध अभ्यास को किम के मिसाइल परीक्षण का जवाब माना जा रहा है
परवेज़ सागर/सुप्रतिम बनर्जी
  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच तल्ख रिश्तों की बात तो हर कोई जानता है. लेकिन अब उत्तर कोरिया के नए मिसाइल परीक्षण के बाद इसके तानाशाह किम जोंग उन के सिर पर तबाही मंडराने लगी है. अमेरिका अपने सहयोगी मुल्क और उत्तर कोरिया के जानी दुश्मन दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर दो दर्जन से ज्यादा फाइटर जेट्स के साथ युद्धाभ्यास करना चाहता है. हालांकि उत्तर कोरिया की मानें तो ये उसे परमाणु युद्ध के लिए ललकारनेवाली बात है. ऐसे में किम के सिर पर मंडराती इस तबाही का अंजाम क्या होगा, ये कोई नहीं जानता.

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सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास

कोरियाई प्रायद्वीप में सबसे बड़ी मिलिट्री ड्रिल. अमेरिका दिखाएगा किम जोंग को अपनी ताकत. दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर अमेरिका का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास. कोरिया में उतरेंगे छह F-22 और 18 F-35 फ़ाइटर जेट. नॉर्थ कोरिया के तानाशाह को धमकाएंगे 12 हज़ार सैनिक. कोरिया के आसमान पर मंडराएंगे 250 मिलिट्री एयरक्राफ्ट.

अमेरिका दिखाएगा अपनी ताकत

नॉर्थ कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन ने अभी अपने सबसे दूर तक मार करने वाले इंटर कॉन्टीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के सफल परीक्षण का जश्न मनाया भी नहीं था कि अमेरिका ने उसे अपनी ताकत दिखाने के लिए शुरू कर दी है अब तक सबसे बड़ी एयरफोर्स एक्सरसाइज़. छह F-22 और अट्ठारह F-35 फाइटर जेट के साथ इस मिलिट्री ड्रिल में 250 एयरक्राफ्ट और 12 हज़ार सैनिक हिस्सा ले रहे हैं. 5 दिन तक चलने वाली अमेरिका और दक्षिण कोरिया की इस मिलिट्री ड्रिल का मक़सद अपनी वायु सेना की क्षमता का प्रदर्शन करना है.

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नार्थ कोरिया के पास खतरनाक मिसाइल

अमेरिका और दक्षिण कोरिया की ये मिलिट्री नॉर्थ कोरिया की तरफ से पैदा हुए नए खतरे की वजह से की जा रही है. आपको बता दें कि अभी कुछ दिन पहले ही नॉर्थ कोरिया ने ह्वासोंग-15 नाम की बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है जिसकी मारक क्षमता 13 हज़ार किमी है. इसी के साथ अब उत्तर कोरिया के पास ऐसी मिसाइल भी आ गई है जो अमेरिका के किसी भी शहर तक मार कर सकती है.

बमवर्षक हैं तैयार

सूत्रों के मुताबिक किम जोंग उन को अपनी ताकत दिखाने के लिए अमेरिका अपने सबसे घातक बमवर्षक विमान B-1B को भी इस ड्रिल में शामिल करने का मन बनाया है. आपको बता दें कि जंग के हालात को देखते हुए अमेरिका ने B-1B बॉम्बर को पहले से ही कोरियाई पेनिनसुला में उतार रखा है.

किम ने नहीं मानी चेतावनी

कभी परमाणु बम का परीक्षण तो कभी पड़ोसियों के ऊपर से मिसाइल टेस्ट. मार्शल किम जोंग उन की सनक पूरी दुनिया को लगातार परेशान कर रही है. लिहाज़ा जब बार-बार जुबानी चेतावनी का किम पर असर नहीं हुआ तो अमेरिका ने आखिरकार उत्तर कोरिया को अपने विनाशक जेट और सेना को उतारकर मिलिट्री ड्रिल करने का फैसला लिया है ताकि अमेरिका की ताकत देखकर मार्शल अपनी हरकतों से बाज आएं. मगर बाज़ आना तो दूर नॉर्थ कोरियाई मीडिया ने इसे परमाणु युद्ध के लिए खुली अमेरिकी चुनौती करार दिया है.

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सैन्य अभ्यास की वजह से अमेरिका को धमकी

अमेरिका और दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट मिलिट्री ड्रिल से भड़के उत्तर कोरिया ने परमाणु युद्ध को लेकर साफतौर पर चेताया है. उत्तर कोरिया का कहना है कि इस कदम के जरिए अमेरिका उसे परमाणु युद्ध को उकसा रहा है. उत्तर कोरिया के विदेश मंत्री के मुताबिक अमेरिका और दक्षिण कोरिया के पांच दिवसीय सैन्य अभ्यास से परमाणु युद्ध के शुरू होने की संभावना है. डोनाल्‍ड ट्रंप प्रशासन को इसके लिए दोषी है और कोरियाई प्रायद्वीप पर इस तरह से अभ्यास करना अमेरिका को महंगा साबित होगा.

घातक साबित हो सकती है ये कार्रवाई

भले ही अमेरिकी एयरफोर्स और दक्षिण कोरिया की ये मिलिट्री ड्रिल दुश्मन को अपनी ताकत दिखाने के मकसद से हो रही हो मगर जानकार भी इसे अमेरिका की तरफ नॉर्थ कोरियाई सुप्रीम लीडर किम जोंग उन को भड़काने वाली कार्रवाई मान रहे हैं. जो इस पूरे प्रायद्वीप के लिए घातक साबित हो सकती है.

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