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नई किताब में खुलासा, 1971 के युद्ध में हिंदुओं को चुन-चुनकर मार रही थी पाकिस्‍तानी फौज

1971 के युद्ध में पाकिस्तानी फौज पूर्वी पाकिस्‍तान में हिंदुओं को चुन-चुनकर कर मार रही थी. पाकिस्तानी फौज ने जान-बूझकर ऐसा किया. भारत की सरकार यह सब जानती थी, लेकिन इसे गलत तरीके से लोगों तक पहुंचाया गया. तब कहा गया कि पाकिस्तानी सेना ने बंगालियों का कत्लेआम किया है. यह सब एक किताब में लिखा है, जो हाल ही में रिलीज हुई है.

1971 के युद्ध की धुंधली-सी तस्‍वीर... 1971 के युद्ध की धुंधली-सी तस्‍वीर...
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 17 अक्टूबर 2013,
  • अपडेटेड 10:16 AM IST

1971 के युद्ध में पाकिस्तानी फौज पूर्वी पाकिस्‍तान में हिंदुओं को चुन-चुनकर कर मार रही थी. पाकिस्तानी फौज ने जान-बूझकर ऐसा किया. भारत की सरकार यह सब जानती थी, लेकिन इसे गलत तरीके से लोगों तक पहुंचाया गया. तब कहा गया कि पाकिस्तानी सेना ने बंगालियों का कत्लेआम किया है. यह सब एक किताब में लिखा है, जो हाल ही में रिलीज हुई है.

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अब तक ऐसा माना जाता रहा था कि 1971 के भारत-पाकिस्‍तान युद्ध में पाकिस्‍तानी फौज के निशाने पर बंगाली थे. पर अब एक किताब से नई जानकारी सामने आई है. किताब में बांग्‍लादेश की आजादी (तब के पूर्वी पाकिस्‍तान) की लड़ाई के बारे में कुछ अहम बातों का खुलासा किया गया है. भारत सरकार इस तथ्‍य से पूरी तरह वाकिफ थी कि युद्ध में हिंदू निशाना बन रहे हैं, इसके बावजूद इसे ज्‍यादा प्रचारित नहीं किया गया. अगर तब इस बात का खुलासा किया जाता, तो जनसंघ के नेताओं के भड़कने का खतरा था.

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गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी जनसंघ से ही निकली है. लेखक गरी जे. बास ने अपनी किताब, 'The Blood Telegram: Nixon, Kissinger and a Forgotten Genocide में इस युद्ध के बारे में विस्‍तार से लिखा है.

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प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में राजनीति और अंतरराष्‍ट्रीय संबंध के प्रोफेसर जे. बास के मुताबिक वह युद्ध मूल रूप से पूर्वी पाकिस्‍तान में रह रहे हिंदुओं के खिलाफ था, इसके बावजूद भारत ने इसे बंगा‍लि‍यों के खिलाफ संहार करार दिया.

जे. बास ने लिखा है कि भारतीय विदेश मंत्रालय का तर्क है कि पाकिस्‍तान के जनरल चुनाव हार बैठे, क्‍योंकि उनके देश में बंगालियों की तादाद ज्‍यादा थी.

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पाकिस्‍तान की सेना लगातार हिंदू समुदाय को निशाना बनाती रही. किताब के मुताबिक, भारतीय अधिकारी यह नहीं चाहते थे कि जनसंघ पार्टी के हिंदू राष्‍ट्रवादियों को उग्र होने का मौका मिले.

जे. बास ने अपनी किताब में लिखा है कि तब रूस में भारत के राजदूत रहे डीपी धर के मुताबिक पाकिस्‍तानी सेना ने पहले से हिंदुओं को ही जनसंहार के लिए निशाना बना रखा था. लेकिन इस बात से हिंदू राष्‍ट्रवादियों का गुस्‍सा भड़कने का खतरा था.

उस वक्‍त ढाका में यूएस काउंसिल जनरल रहे आर्चर ब्‍लड के मुताबिक हिंदुओं को इरातदन मारने के पीछे कोई तर्क नहीं नजर आता है, जिनकी आबादी वहां 1 करोड़ थी. यह संख्‍या तब के पूर्वी पाकिस्‍तान की कुल आबादी का 13 फीसदी है.

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