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पद्मावती के लिए नहीं, हिंदू-मुस्लिम फसाद के लिए लटकाई गई नाहरगढ़ किले में लाश!

सारे मैसेज पर पढ़कर यही नतीजा निकलता है कि ये आत्महत्या का नहीं बल्कि हत्या का मामला है, हत्या के पीछे भी एक सोची समझी साजिश थी ताकि मुद्दे को हिंदू बनाम मुसलमान बनाया जा सके और फसाद कराया जा सके.

'पद्मावती' के विरोध में युवक के सुसाइड की बातें कही जा रही हैं 'पद्मावती' के विरोध में युवक के सुसाइड की बातें कही जा रही हैं
आदित्य बिड़वई/कमलेश सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:57 AM IST

जयपुर के नाहरगढ़ किले की दीवार पर शुक्रवार सुबह 40 वर्षीय चेतन कुमार सैनी की लाश लटकी मिली. शुरुआत में किले की दीवार पर कोयले से लिखी बातों को दिखाकर मीडिया ने यही खबर बताई कि चेतन ने आत्महत्या की है, लेकिन जिस जगह लाश मिली वहां किले की चट्टानों-पत्थरों पर कुछ ऐसी भड़काऊ बातें लिखी हुई हैं. जो इस ओर इशारा करती हैं कि ये सुसाइड नहीं बल्कि मर्डर था.

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मीडिया की शुरुआती खबरों में यही दिखाया गया कि चेतन ने राजस्थान और देशभर में चल रहे पद्मावती फिल्म के विरोध में सुसाइड की है, क्योंकि कोयले से लिखी बातों में फिल्म पद्मावती का जिक्र था.

हालांकि, जब इस बात की करीब से पड़ताल की गई तो मामला कुछ और नजर आया. किले की चट्टानों पर लिखी बातें फिल्म के नहीं, बल्कि फिल्म का विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ थीं.

मीडिया ने भी उस बात को हाईलाइट किया जिसमें किले की एक चट्टान पर लिखा पाया गया कि, "हम सिर्फ पुतले नहीं लटकाते पद्मावती". इस लिखावट से पहले यह संदेश गया कि चेतन ने सुसाइड की है.

लेकिन किले की चट्टान पर लिखी ये बात अधूरी थी. इसके अलावा 10 और भी चट्टानों पर इसी तरह की बातें लिखी पाई गईं.

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एक चट्टान पर पद्मावती फिल्म का विरोध पर रहे लोगों पर तंज कसते हुए लिखा है कि, "पद्मावती का विरोध करने वालो, हम किले से सिर्फ पुतले नहीं लटकाते" ये साफ-साफ उन लोगों पर तंज था जो फिल्म के विरोध में पुतले जला रहे हैं, खासकर श्री राजपूत करणी सेना.

"दो जगहों पर चेतन तांत्रिक लिखा हुआ है. एक जगह पर तांत्रिक तो एक जगह पर चेतन तांत्रिक मारा गया". साफ है कि जिन्होंने चेतन को मारकर लटकाया, वो नहीं चाहते थे कि ये मामला सुसाइड का लगे.

पर रुकिए. बात यहीं खत्म नहीं होती. एक अन्य चट्टान पर इस हत्या को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है. जिसमें लिखी बातों से ऐसा लगे कि ये बातें किसी मुसलमान ने लिखी हैं.

चट्टान पर लिखा है कि, "हर काफिर का यही हाल होगा. जो काफिर को मारेगा, अल्लाह को प्यारा होगा." "हम पुतले नहीं लटकाते/अल्लाह के बंदे."

इसके अलावा चट्टानों पर तीन ऐसे मैसेज लिखे हैं जिनमें काफिर शब्द आता है. दो में अल्लाह लिखा हुआ है लेकिन इनमें  ह अक्षर गायब है.सारे मैसेज पर पढ़कर यही नतीजा निकलता है कि ये आत्महत्या का नहीं बल्कि हत्या का मामला है, हत्या के पीछे भी एक सोची समझी साजिश थी ताकि मुद्दे को हिंदू बनाम मुसलमान बनाया जा सके और फसाद कराया जा सके.

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