
इनमें से कोई नहीं यानी NOTA महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में प्रभावी साबित हुआ है. जब किसी सीट पर मतदाता किसी भी उम्मीदवार को वोट न देना चाहें तो उनके पास NOTA का विकल्प होता है जिसमें वह किसी भी उम्मीदवार या पार्टी के लिए मतदान नहीं करने का अधिकार रखते हैं. राज्य की 2 सीटों पर NOTA दूसरे नंबर पर रहा है जिसका मतलब हुआ कि ज्यादातर वोटरों ने पहले उम्मीदवार के अलावा बाकी अन्य को खारिज कर दिया.
लातूर ग्रामीण विधानसभा सीट पर NOTA दूसरे नंबर पर रहा और यहां पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के बेटे धीरज देशमुख ने एकतरफा जीत दर्ज की है. कांग्रेस प्रत्याशी धीरज ने 1,35,006 वोट हासिल किए और उनका वोट प्रतिशत 67.64 रहा. इस सीट पर NOTA को 13.78 फीसदी वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहा जिसके खाते में 27,500 वोट आए.
लातूर में शिवसेना पस्त
शिवसेना उम्मीदवार सचिन देशमुख को धीरज का प्रतिद्वंदी माना जा रहा था लेकिन उन्हें NOTA से भी कम वोट मिले. सचिन देशमुख अपने लिए सिर्फ 13,524 वोट जुटा पाए और उनका मत प्रतिशत 6.78 रहा. वहीं वंचित बहुजन अगाड़ी पार्टी को 12,966 वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रही. इस सीट पर कुल 15 उम्मीदवार उतरे थे और 16वें विकल्प के तौर पर नोटा था.
लातूर ग्रामीण की तरह महाराष्ट्र की पलूस-कड़ेगांव सीट पर भी NOTA ने बाजी मारी है. इस सीट पर मुकाबला कांग्रेस और शिवसेना के बीच था लेकिन NOTA ने यहां 10 फीसदी वोट हासिल किए हैं. कांग्रेस के कदम विश्वजीत को 1,70,034 वोट मिले तो दूसरी नंबर पर रहते हुए NOTA के खाते में 20,631 वोट आए. इस सीट पर भी शिवसेना तीसरे पायदान पर रही जिसे 8,976 वोट मिले हैं.
नोटा को AAP से ज्यादा वोट
दोनों ही राज्यों में NOTA दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी से ज्यादा असरदार रहा है. महाराष्ट्र में AAP को 0.11 फीसदी वोट मिले जबकि नोटा को कुल 1.37 फीसदी वोट हासिल हुए. वहीं हरियाणा में नोटा के खाते में 0.52 फीसदी वोट आए जबकि AAP को यहां सिर्फ 0.48 फीसदी वोट मिल सके हैं. हरियाणा की भी कई सीटों पर हार-जीत का अंतर NOTA को पड़े वोटों से भी कम रहा है.