
झारखंड में बीते दिनों सरेंडर कर चुके कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन के आत्मसमर्पण और उसे 15 लाख का सरकारी चेक दिए जाने के बाद राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं. यहां बताते चलें कि कुंदन पाहन का असली नाम बीर सिंह पाहन है. वह झारखंड के खूंटी जिले के अड़की प्रखंड स्थित बारीगड़ा गांव का बासिंदा है. बताया जाता है कि पारिवारिक जमीन पर कलह के बाद उसने हथियार उठा लिए थे. उसके दो भाई भी माओवादियों के साथ हाथ मिला चुके हैं. उसका भाई दिम्बा पाहन पहले ही आत्मसमर्पण कर चुका है. जबकि दूसरे भाई श्याम पाहन को पुलिस ने पंजाब से गिरफ्तार किया था.
पुनर्वास राशि पर हाईकोर्ट ने खुद ही लिया नोटिस
गौरतलब है कि झारखण्ड सरकार ने कुंदन पाहन के लिए 15 लाख की पुनर्वास राशि तय किया था. उच्च न्यायालय ने इस मामले में खुद ही नोटिस लेते हुए पुनर्वास राशि पर नोटिस लिया है. हाईकोर्ट का कहना है कि कुंदन पाहन को दी जा रही राशि तो स्वतंत्रता सेनानी और शहीदों तक को नहीं मिलती. ऐसे में 128 आपराधिक मामलों में आरोपी के साथ ऐसा व्यवहार ठीक नहीं. कुंदन पर पूर्व मंत्री की हत्या, एक डीएसपी, एक इंस्पेक्टर और कई पुलिसवालों की हत्या के भी आरोप हैं. कुंदन पाहन ने अपने कथित आत्मसमर्पण के मौके पर भाषण भी दिया. उसे एक समारोह में चेक दिया गया. इस समारोह में पुलिस के अधिकारी भी मुस्कुराते हुए दिखे.
हिंसा के शिकार परिवार हैं दुखी
कुंदन पाहन के हीरो वेलकम पर आजसू पार्टी के विधायक रमेश सिंह मुंडा काफी निराश हैं. वे कहते हैं कि एक नक्सली के साथ ऐसा व्यवहार उचित नहीं. वे पुलिस द्वारा दिए गए इस पैकेज से भी काफी निराश दिखे. वे तो कुंदन पाहन को फांसी पर चढ़ाए जाने की बात कहते हैं. इसके अलावा इन्सपेक्टर फ्रांसिस जिनका गला काटकर इसने दहशत फैलाई थी. उनका पूरा परिवाार इस समारोह के आयोजन और चेक दिए जाने को जवानों की शहादत और पुलिस के साथ धोखा कह रहा है.