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अब गुजरात में हार्दिक, जिग्नेश, अल्पेश पर डोरे डालती कांग्रेस, जानें पर्दे के पीछे की पूरी कहानी

गुजरात में कांग्रेस अपनी पार्टी के कील कांटे दुरुस्त करने के बाद अब नए सिरे से घेरेबंदी में जुट गई है. गुजरात की सियासत में तीन नौजवान इस वक़्त पार्टी को अहम नज़र आ रहे हैं, जिनको साधने की वो कोशिश में जुट गई है. पार्टी को लगता है कि, जहां तक हो सके बीजेपी विरोध के वोट को वो इकट्ठा कर सके.

हार्दिक पटेल हार्दिक पटेल
केशवानंद धर दुबे/कुमार विक्रांत
  • अहमदाबाद,
  • 27 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST

गुजरात में कांग्रेस अपनी पार्टी के कील कांटे दुरुस्त करने के बाद अब नए सिरे से घेरेबंदी में जुट गई है. गुजरात की सियासत में तीन नौजवान इस वक़्त पार्टी को अहम नज़र आ रहे हैं, जिनको साधने की वो कोशिश में जुट गई है. पार्टी को लगता है कि, जहां तक हो सके बीजेपी विरोध के वोट को वो इकट्ठा कर सके.

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पहला नाम-हार्दिक पटेल

सबसे पहले कांग्रेस की उम्मीद पाटीदारों के बड़े चेहरे हार्दिक पटेल हैं. हार्दिक अभी 25 साल से कम उम्र के हैं और चुनाव नहीं लड़ सकते. लेकिन वो पाटीदार समाज के बड़े हिस्से को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इसलिए पार्टी ने अंदरखाने हार्दिक से बातचीत शुरू कर दी है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, हार्दिक के साथ शुरुआती बातचीत सफल रही है और सब कुछ इसी तरह चला तो चुनाव में हार्दिक कांग्रेस के पक्ष में वोट देने की अपील कर सकते हैं. बदले में कांग्रेस पाटीदारों को आरक्षण पर ठोस आश्वासन दे सकती है, साथ ही कांग्रेस हार्दिक के कुछ करीबियों को टिकट भी दे सकती है.

दूसरा नाम-जिग्नेश

इसके बाद दूसरा नाम है दलित समाज से आने वाले जिग्नेश. पार्टी लगातार जिग्नेश के भी सम्पर्क में हैं. सूत्रों के मुताबिक, जिग्नेश ने बीजेपी विरोध का झंडा तो बुलंद कर रखा है, लेकिन कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने से भी इंकार कर दिया है. ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि, जिग्नेश जहां से चुनाव लड़े पार्टी उनको समर्थन दे दे और बदले में जिग्नेश बीजेपी विरोध की आवाज़ बुलंद रखें. सूत्रों की मानें, जिग्नेश से भी कुछ सीटों पर कांग्रेस की बातचीत सकारात्मक दिशा में है. हालांकि, पार्टी को लगता है कि, जिग्नेश का प्रभाव क्षेत्र हार्दिक जैसा बड़ा नहीं है.

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तीसरा नाम-अल्पेश

इसके बाद तीसरा नाम है अल्पेश का, जो ठाकोर समाज से आते हैं. पार्टी अल्पेश से भी संपर्क कर रही है. अल्पेश का प्रभाव क्षेत्र भी सीमित है, लेकिन कांग्रेस उनको भी अपने पाले में लाना चाहती है, लेकिन अभी तक उसको अल्पेश के मामले में सफलता नहीं मिल पाई है.

खुलकर बना रही रणनीति

दरअसल, कांग्रेस को लगता है कि, शंकर सिंह वाघेला के जाने के बाद अब वो खुलकर अपनी रणनीति बना रही है. साथ ही गुजरात कांग्रेस ने आलाकमान को बता दिया है कि, एनसीपी अब बीजेपी की बी टीम की तरह काम कर रही है, राज्यसभा चुनाव में भी उसने धोखा दिया. ऐसे में एनसीपी के ज़रिए बीजेपी सिर्फ कांग्रेस का नुकसान ही चाहेगी. इसलिए कांग्रेस को बिना एनसीपी नई रणनीति के साथ गुजरात चुनाव में उतरना चाहिए.

गुजरात के युवाओं को अपनी ओर मोड़ना चाहती कांग्रेस

साथ ही गुजरात में 18-35 साल के युवाओं ने कांग्रेस का शासन नहीं देखा, इसलिए इन तीन युवाओं के ज़रिये कांग्रेस गुजरात के युवाओं को अपनी ओर मोड़ना चाहती है. इसलिए कांग्रेस अब अपनी इस रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने में जोर शोर से लगी है.

 

 

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