
उत्तराखंड की धर्मनगरी हरिद्वार स्थित गायत्री पीठ 'शांतिकुंज' 25 सितंबर से ऑनलाइन नवरात्रि साधना की सुविधा शुरू करने जा रहा है. इंटरनेट पर navratri.awgp.org पर लॉगिन कर देश-विदेश में बैठा कोई भी साधक अपनी साधना पूरी कर सकता है.
शास्त्रों के अनुसार, साल में दो बार नवरात्रि साधना के माध्यम से साधकों में नई शक्ति का संचार होने का मौका आता है. चैत्र और शारदीय नवरात्रि में साधकों को अपनी सुप्त और गुप्त शक्तियों को जगाने करने का अवसर मिलता है, इसलिए इस साल की आश्विन नवरात्रि पर शांतिकुंज ने यह अनोखी पहल शुरू की है.
गंगा की गोद और हिमालय की छाया में बसे शांतिकुंज में हर साल नवरात्रि साधना के लिए लगभग 20 हजार साधक ही आ पाते हैं. ऐसे में करोड़ों साधक इस महान साधना से वंचित रह जाते हैं, इसलिए इस नए प्रयोग 'ऑनलाइन साधना' से जुड़कर कोई भी साधक अपनी साधना पूरी करने से वंचित नहीं रह पाएगा.
शांतिकुंज के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अनुसार, अब तक 12 से अधिक देशों के साधकों ने ऑनलाइन फॉर्म जमा कराया है. प्रगतिशील देशों के साथ भारत के दूरदराज गांवों में बसे साधकों ने भी इस अनूठे प्रयोग में काफी उत्साह दिखाया है.
शांतिकुंज के शिविर विभाग के अनुसार, वेबसाइट navratri.awgp.org पर गायत्री पीठ की दिनचर्या, आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी, त्रिकाल संध्या के साथ देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या का विशेष नवरात्रि संदेश भी लाइव दिखाया जाएगा.
इसके अलावा गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के विचारों व संदेशों पर आधारित वीडियो 'साधना में सफलता' का प्रसारण होगा. साथ ही साधकों के पंचकोशों के जागरण के लिए विशेष साधना हर रोज सुबह 5 बजे पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के मुख से कराई जाएगी. दोपहर में ज्योति अवधारण साधना मां भगवती देवी शर्मा के निर्देशन में तथा सायंकाल बांसुरी की धुन पर नादयोग साधना होगी.
साधकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण इस साधना में वह समय खास होगा, जब वे 1926 से जल रही अखंड दीप के लाइव दर्शन कर सकेंगे.
अमेरिका के न्यू जर्सी शहर के विपुल पटेल ने ऑनलाइन साधना के बारे में कहा, 'अब हम गंगा की गोद और हिमालय की छाया में बस शांतिकुंज के साक्षात दर्शन अमेरिका में बैठे-बैठे कर सकेंगे.' पटेल के अनुसार, अमेरिका की भागमभाग वाली जिंदगी में अब प्रवासी भारतीयों की सुबह से ही आध्यात्मिकता का बोध कराने वाली दिनचर्या शुरू होगी.