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मां के दूध में पाया गया पेस्‍टीसाइड, 40 महिलाओं के सैंपल से हुई जांच

सिरसा स्थित चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी एंड एनवायरमेंटल साइंसेस की रिसर्च रिपोर्ट में मां के दूध में पेस्‍टीसाइडमिलने की बात सामने आई है.

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aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 14 जुलाई 2015,
  • अपडेटेड 11:51 AM IST

सिरसा स्थित चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी एंड एनवायरमेंटल साइंसेस की रिसर्च रिपोर्ट में मां के दूध में पेस्‍टीसाइड मिलने की बात सामने आई है.

सिरसा में हुए इस अनुसंधान के दौरान एक किलो दूध में 0.12 मिलीग्राम पेस्टिसाइड मिला. यह वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्‍लूएचओ) के अंदाजे से 100 गुना ज्यादा है. रिपोर्ट के मुताबिक, अगर सरकार ने खाने-पीने की चीजों में हानिकारक कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं रोका तो आने वाले वक्त में इसका बुरा असर नवजातों पर पड़ सकता है.

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बता दें कि केंद्र सरकार ने ब्रेस्ट फीडिंग को लेकर बड़े पैमाने पर अभियान चलाया है. मानव दूध में कीटनाशकों की मौजूदगी को लेकर डॉ. रिंकी खन्ना ने रिसर्च किया है. उन्होंने पाया कि बच्चों में उनकी मां के दूध के जरिए पेस्टिसाइड्स पहुंच रहा है.

डॉ. रिंकी ने ह्यूमन मिल्क का सैंपल 40 महिलाओं से लिया. तीन साल तक की जाने वाले इस अध्ययन में 8 महीने से 2 साल तक की उम्र वाले 80 बच्चे शामिल थे.

जब इस मामले की वजह जानने की कोशिश की गई तो पता चला कि गाय या भैंस को दिए जाने वाले चारे में पेस्टिसाइड्स की काफी मात्रा होती है. पशुओं को ऐसा चारा खिलाने से उनके दूध पर असर पड़ता है. यही दूध इंसान के शरीर में पहुंचता है तो उसमें मौजूद पेस्टिसाइड्स रिएक्ट करते हैं. मां के शरीर में फैट सॉल्युबल केमिकल्स के घुलने से भी उनके दूध में पेस्टिसाइड्स की मात्रा बढ़ती है.

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रिसर्च में पाया गया कि दूध पिलाने के बाद बच्चों में पहुंचने वाली पेस्टिसाइड्स की मात्रा दस गुना बढ़ गई. उल्‍लेखनीय है कि ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैं. साल 2009 में राजस्थान यूनिवर्सिटी ने भी इसी तरह की रिसर्च की थी.

श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ में यह रिसर्च 50 महिलाओं पर की गई थी. सैम्पल्स में ऑर्गेनोक्लोरीन पेस्टिसाइड ज्यादा पाया गया. यह केमिकल खाने-पीने की चीजों से हमारे शरीर में जाता है और बॉडी फैट में घुल जाता है. अनूपगढ़ से लिए सैम्पल्स में यह पेस्टिसाइड 3.319 से 6.253 एमजी/लीटर पाया गया था.

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