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अब सोशल मीडिया के 'बदमाशों' पर अंकुश लगाएगी यूपी पुलिस

उत्तर प्रदेश पुलिस अब साइबर स्पेस में एसपीओ यानी स्पेशल पुलिस अफसरों की तैनाती करेगी. जो सोशल मीडिया पर नजर रखने की जिम्मेदारी निभाएंगे.

पुलिस अब साइबर स्पेस में भी एसपीओ तैनात करेगी पुलिस अब साइबर स्पेस में भी एसपीओ तैनात करेगी
परवेज़ सागर
  • लखनऊ,
  • 14 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 10:32 AM IST

सोशल मीडिया पर अफवाह फैला कर माहौल बिगाड़ने की कोशिशों से निपटने के लिये यूपी पुलिस ने एक नई पहल की है. पुलिस अब साइबर स्पेस में एसपीओ यानी स्पेशल पुलिस अफसरों की तैनाती करेगी. जो सोशल मीडिया पर नजर रखने की जिम्मेदारी निभाएंगे.

उत्तर प्रदेश पुलिस इस काम जिम्मा ऐसे नौजवानों को देगी, जो लैपटॉप से लेकर स्मार्टफोन पर चौबीसों घंटे सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप जैसे एप्स पर नजर रखेंगे ताकि पुलिस अफवाह फैलाने वालों पर शिकंजा कस सके. पुलिस का इरादा सोशल मीडिया पर सक्रिय डिजिटल वॉलंटियर्स के जरिये एक ऐसी व्यवस्था बनाने का जिसके रहते अफवाह फैलाने वाले शरारती तत्वों पर नजर रखी जा सके.

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यूपी के आईजी (कानून व्यवस्था) ए.सतीश गणेश ने बताया कि चाहे बात व्हाट्सऐप और फेसबुक की हो या फिर ट्विटर, यू-ट्यूब और इंस्टाग्राम की. सभी पर पुलिस के एसपीओ निगरानी करेंगे. सोशल मीडिया का दुरुपयोग साइबर स्पेस में है. तो साइबर स्पेस में जो इन्फॉर्मेशन शेयर हुई है उसे कंट्रोल करने के लिये आपको भी साइबर स्पेस में काउंटर करना होगा. यही काम हमारे डिजिटल वॉलंटियर्स करेंगे.

दरअसल इससे पहले पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसके अपने अफसर ही थे. ज्यादातर पुलिस वाले कम्प्यूटर पर काम करने के आदी नहीं थे और आईपीएस अफसरों के अलावा सोशल मीडिया और इंटरनेट की समझ भी कम ही पुलिसवालों में थी. ऐसे में तेजी से बढ़ती सोशल मीडिया की पहुंच और उसके गलत इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के लिये पुलिस के पास संसाधन नहीं थे.

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मगर अब स्पेशल पुलिस अफसर या फिर डिजिटल वॉलंटियर्स की नियुक्ति के बाद पुलिस का काम बेहद आसान हो जाएगा. यूपी पुलिस का इरादा थाने के स्तर पर ऐसे नौजवानों को खुद से जोड़ने का है, जो सोशल मीडिया में एक्टिव हों और उसका इस्तेमाल कर गड़बड़ी फैलाने की किसी भी कोशिश से जल्द से जल्द पुलिस को सावधान कर दें.

इसके अलावा यूपी पुलिस ने आसमां यानी एडवांस्ड एप्लिकेशन फॉर सोशल मीडिया एनैलिटिक्स नाम से एक सॉफ्टवेयर बनाया है, जिसके जरिये सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले किसी भी शख्स को या फिर उसके पोस्ट को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है. गड़बड़ी फैलाने वाला कोई पोस्ट किस जिले के किस कम्प्यूटर या फिर मोबाइल से पोस्ट या फिर शेयर किया गया है, इसका पता भी आसानी से लगाया जा सकता है.

जिला स्तर से जानकारी के मिलने के बाद अगर जरूरत पड़ी तो उसे राजधानी लखनऊ में बने एसएमआरसी यानी सोशल मीडिया कमांड एंड रिसर्च सेंटर भी भेजा जा सकता है. जहां से जरूरत पड़ने पर जानकारी को दिल्ली में बने सीईआरटी यानी कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम के पास भी भेजा जा सकता है.

यूपी सरकार का मानना है कि इस व्यवस्था के जरिये सांप्रदायिक दंगों और अफवाहों के फैलने पर प्रभावी ढंग से रोक लगाई जा सकेगी. और ऐसा करने वालों को पहचान कर उनके खिलाफ फौरन कार्रवाई भी की जा सकेगी.

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