Advertisement

क्या 12 राज्य मिलकर रोक सकते हैं NPR का रास्ता, जानें-क्या कहता है संविधान?

सीपीआईएम के नेता प्रकाश करात ने दावा किया कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी एक-दूसरे से कनेक्टेड हैं और अगर एनपीआर के खिलाफ केरल और पश्चिम बंगाल की तरह 10 और राज्य प्रस्ताव पास कर दें, तो ये खत्म हो जाएगा.

सांकेतिक तस्वीर (Courtesy- ANI) सांकेतिक तस्वीर (Courtesy- ANI)
राम कृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 02 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 12:23 AM IST

  • CAA-NPR केंद्रीय सूची के विषय, राज्यों को नहीं है अधिकार
  • सिर्फ संसद को है इस पर कानून बनाने-बदलने का अधिकार
  • सुप्रीम कोर्ट भी CAA को घोषित कर सकता है असंवैधानिक

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है. विपक्ष, अल्पसंख्यक संगठन, छात्र, सोशल एक्टिविस्ट इसे लेकर मोदी सरकार पर हमलावर हैं. केरल सरकार ने तो सीएए, एनआरसी के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव तक पारित कर दिया है और अब तमिलनाडु में भी ऐसी ही मांग उठाई जा रही है.

Advertisement

इस बीच सीपीआईएम के नेता प्रकाश करात ने दावा किया कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी एक-दूसरे से कनेक्टेड हैं और अगर एनपीआर के खिलाफ केरल और पश्चिम बंगाल की तरह 10 और राज्य प्रस्ताव पास कर दें, तो ये खत्म हो जाएगा. aajtak.in ने इस मुद्दे पर संविधान और कानून के जानकारों से बात की और जाना कि करात के दावे में कितना दम है.

केंद्रीय सूची में हैं नागरिकता, जनगणना और जनसंख्या

संविधान विशेषज्ञ डी. के. दुबे का कहना है कि नागरिकता, जनगणना और जनसंख्या से जुड़े मामलों को संविधान में केंद्रीय सूची यानी यूनियन लिस्ट में रखा गया है. इसका मतलब यह है कि इन मुद्दों पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को है. राज्य सरकारों को केंद्रीय सूची में शामिल विषयों पर कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं है. राज्य विधानसभाओं को सिर्फ राज्य सूची के विषयों पर ही कानून बनाने का अधिकार है.

Advertisement

उन्होंने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 245 और 246 में भी संसद के कानून बनाने की शक्ति का विस्तार से जिक्र किया गया है. इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 11 में भी स्पष्ट रूप से लिखा है कि नागरिकता को लेकर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ भारतीय संसद को है.

संविधान विशेषज्ञ दुबे ने बताया कि नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) को देश की संसद ने पारित किया है. इसमें कोई राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा किसी भी तरह की कोई रोक नहीं लगा सकती. संविधान में संसद के पारित इस कानून को रोक लगाने का राज्य विधानसभाओं को कोई अधिकार नहीं दिया गया है. अगर केरल या कोई अन्य राज्य नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ कोई प्रस्ताव लाते हैं, तो वो असंवैधानिक है.

CAA-NPR को रोकने के क्या हैं रास्ते?

सिर्फ संसद में प्रस्ताव लाकर ही नागरिकता संशोधन एक्ट में किसी तरह का परिवर्तन किया जा सकता है. इसके साथ ही अगर सुप्रीम कोर्ट नागरिकता संशोधन अधिनियम को असंवैधानिक घोषित कर देता है, तो भी यह कानून खत्म हो सकता है.

सुप्रीम कोर्ट भी नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ तभी फैसला सुनाएगा, जब वह इसको संविधान या मौलिक अधिकारों के खिलाफ पाएगा. इसके अलावा नागरिकता संशोधन कानून को खत्म करने या इसमें परिवर्तन करने का कोई विकल्प नहीं है. राज्यों को नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करना ही होगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement